CJI Chandrachud: चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने पीएम नरेंद्र मोदी के उनके (सीजेआई) निवास पर पहुंचने के मामले में 51 दिन बाद चुप्पी तोड़ी है।
यहां बता दें गणेश चतुर्थी के दौरान पीएम मोदी सीजेआई चंद्रचूड़ के घर पर पहुंचे थे और गणपति की पूजा की थी, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े किए थे।मामले ने काफी तूल पकड़ा था। काफी बयानबाजी के बाद अब सीजेआई ने जवाब दिया है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा कि जब भी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, राज्यों और केंद्र की सरकार के प्रमुख से मिलते हैं, तो वे कभी भी किसी केस पर चर्चा नहीं करते। ये बैठकें अक्सर प्रशासनिक मसलों से जुड़ी होती हैं। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इसमें कोई डील हुई है।
सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को होंगे रिटायर
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud), 10 नवंबर को सीजेआई के पद से रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के प्रमुखों के के साथ जजों की बैठकें जरूरी हैं क्योंकि राज्य सरकारें न्यायपालिका के लिए बजट पारित करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हम मिलते तो हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई डील तय हो गई। हमें राज्य के मुख्यमंत्री (CM) से संवाद में रहना होगा क्योंकि उन्हें न्यायपालिका के लिए बजट देना है और यह बजट जजों के लिए नहीं है। अगर हम नहीं मिलेंगे और केवल पत्रों पर निर्भर रहेंगे तो हमारा काम नहीं चलेगा।
पीएम से मुलाकात पर तोड़ी चुप्पी
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने आगे कहा कि जब हम मिलते हैं तो मेरा विश्वास कीजिए, राजनीतिक व्यवस्था में बहुत परिपक्वता होती है। उन बैठकों में मेरे अनुभव के अनुसार कभी भी, कोई CM लंबित मामले के बारे में नहीं बोलेगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक पक्ष पर न्यायपालिका और सरकार के कार्यों के बीच एक अंतर है। विपक्ष ने सीजेआई और उनकी पत्नी के साथ पीएम मोदी के पूजा में शामिल होने को लेकर भी सवाल किया था।
शिवसेना नेता (UBT) संजय राउत ने उठाए थे सवाल
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) के आवास पर पीएम मोदी के जाने को लेकर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा था कि संवैधानिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच इस तरह की चर्चा से न्यायपालिका में विश्वास कमजोर हो सकता है। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने सीजेआई के आवास का दौरा किया और उन्होंने एक साथ आरती की। हमारी चिंता यह है कि जब संविधान के संरक्षक इस तरह से राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं तो इससे संदेह पैदा होता है। महाराष्ट्र में हमारा मामला (शिवसेना मुख्य रूप से किसकी?), जिसमें वर्तमान सरकार शामिल है। ये चीफ जस्टिस, जिसके समक्ष सुना जा रहा है और प्रधानमंत्री इसका हिस्सा हैं। हमें इस बात की चिंता है कि क्या हमें न्याय मिलेगा? मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से खुद को अलग करने पर सोचना करना चाहिए।
चंद्रचूड़ ने कहा- ये मुलाकातें क्यों हैं जरूरी
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और वर्तमान सरकार के बीच प्रशासनिक संबंध, शीर्ष अदालत की ओर से किए गए न्यायिक कार्यों से अलग है। यह परंपरा है कि CM या मुख्य न्यायाधीश त्योहारों या शोक सभाओं के समय एक-दूसरे से मिलते हैं। लेकिन निश्चित रूप से हमें यह समझना चाहिए कि इसका प्रभाव हमारे न्यायिक कार्यों पर नहीं पड़ता है। हमें यह समझना चाहिए कि जनता की ओर से देखी जा रही बैठक में कोई भी ‘डील’ नहीं करेगा।
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CJI बोले- न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा कि हमें यह मानना चाहिए कि एक सतत संवाद होना चाहिए, ना कि उस काम के संदर्भ में जो हम जस्टिस के रूप में करते हैं, बिल्कुल नहीं। क्योंकि, जज के रूप में हम जो काम करते हैं, उसमें हम पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। लेकिन कई मायनों में, प्रशासनिक पक्ष पर न्यायपालिका और सरकार के काम के बीच एक अंतर है।
यहां बता दें कि सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना भारत के अगले सीजेआई होंगे। वह 11 नवंबर को शपथ लेंगे।
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