Raghavji Clean Chit From Supreme Court: मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण मामले में क्लीन चिट दे दी है। इस मामले में 11 साल पहले उनपर FIR हुई थी। जिसमें पहले उन्हें दोषी माना गया था लेकिन जबलपुर उच्च न्यायालय ने पिछले साल यानी 2023 में यह FIR रद्द कर दी थी और क्लीन चिट दी थी। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपील की, लेकिन फिर से यह याचिका रद्द हो गई और शासन को फटकार लगाई गई।
मर जाता तो कलंक रह जाता
एमपी के पूर्व वित्त मंत्री राघव जी को 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेदाग साबित किया गया। उनके निवास पर समाजसेवी, वरिष्ठ नागरिक और विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों ने उन्हें सम्मानित किया और बधाई दी। राघव जी इस फैसले को लेकर कहा कि यह सत्य की जीत है और उन्हें राजनीतिक विरोधियों के षड्यंत्र से मुक्ति मिली है। सत्य प्रताड़ित हो सकता है, पराजित नहीं। एक षड्यंत्र के तहत मुझे यौन शोषण के मामले में फसाया गया था। जिससे मेरी सोशल लाइफ और 60 साल के राजनीतिक सामाजिक जीवन पर ग्रहण लगा रहा। भारत के कानून पर मुझे विश्वास था और उसकी जीत हुई। यदि इस बीच में मर जाता तो यह कलंक कभी न मिटता।
क्या था मामला?
पिछले साल कोर्ट से फैसला आने पर राघवजी के वकील ने कहा था कि फरियादी ने कभी भी यह नहीं कहा कि उसने यौन संबंधों का विरोध किया था। उसके पास भागने का भी मौका था, लेकिन वह उनका घर छोड़कर भी नहीं भागा. दोनों के संबंधों में उसकी सहमति थी. इस मामले में शिकायतकर्ता ने खुद कहा था कि उसने योजना बनाकर वीडियो रिकॉर्ड किया था. यानी वह जानबूझकर संबंध बनाने पहुंचा था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला आने के बाद 377 के तहत अपराध बनता ही नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा था साजिश के तहत मामला हुआ था दर्ज
हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने एक मामले में फैसला सुनाया कि वित्त मंत्री के खिलाफ दर्ज एफआईआर राजनीतिक विरोधियों के इशारे पर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने माना कि उसने वित्त मंत्री का वीडियो बनाया था, जो सहमति से एकांत में अप्राकृतिक यौन कृत्य दिखाता है। शिकायतकर्ता 2010-2013 तक वित्त मंत्री के सरकारी निवास पर रहा, लेकिन मई 2013 में वहां से जाने के तीन महीने बाद ही एफआईआर दर्ज कराई। अदालत ने इसे राजनीतिक विरोध और आपसी रंजिश का मामला बताया।