Raigarh CG News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में शुक्रवार रात को करंट लगने से तीन हाथियों की मौत हो गई, जिसमें दो वयस्क और एक शावक शामिल हैं। यह घटना तमनार रेंज के बकचबा बीट में स्थित एक नर्सरी के अंदर हुई। बताया जा रहा है कि यहा एक बिजली का तार काफी नीचे लटका हुआ था।
11 केवी के तार की चपेट में आने से हुई मौत
शनिवार सुबह तीनों हाथियों के शव बरामद किए गए। जैसे ही वन विभाग को इसकी सूचना मिली, डीएफओ सहित वनकर्मियों की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची। शुरुआती जांच से पता चला है कि हाथियों की मौत 11 केवी के तार की चपेट में आने से हुई है।
हाथियों के लिए आवागमन का रास्ता है ये जंगल
इसके आसपास की घास भी जल चुकी थी। बता दें कि यह स्थान तमनार रेंज के सामारूमा जंगल में है, जो हाथियों के लिए आवागमन का रास्ता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि घटना के बाद हाथियों के शव का पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है।
यह बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा: मिश्रा
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण समिति के ब्लॉक अध्यक्ष सोमदेव मिश्रा ने कहा है कि यह बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने बताया कि करंट प्रवाहित तार बहुत नीचे लटका हुआ था, जबकि घरघोड़ा रेंज में हाथियों का बड़ा दल मौजूद था, जिसके कारण हाथी करंट की चपेट में आ गए।
मामले की जांच जारी: डीएफओ
डीएफओ स्टाईलो मंडावी ने बताया कि हाथियों की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभावित क्षेत्रों में मुनादी कराई जा रही थी ताकि किसी तरह की जनहानि न हो, फिर भी तीन हाथी करंट लगने से मर गए। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच जारी है।
जिले में 158 हाथियों की दस्तक
जिले में कुल 158 हाथियों की संख्या पहुंच चुकी है। घरघोड़ा रेंज में 78 हाथियों का एक दल है, जबकि अमलीडीह क्षेत्र में 48 और कमतरा इलाके में 30 हाथी घूम रहे हैं। रात होने पर ये हाथी जंगल से बाहर निकलकर किसानों के खेतों तक पहुंच रहे हैं।
हाईकोर्ट पहुंचा करंट से हाथियों की मौत का मामला
हाथियों की करंट से होने वाली मौतों को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में वन विभाग ने अदालत में इसी महीने शपथ पत्र पेश कर बताया था कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार हाथियों को बिजली करंट से सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएगी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बी. डी. गुरु की डिवीजन बेंच (Bilaspur High Court) ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए भारत सरकार की गाइडलाइंस के पालन का आदेश दिया, जिसमें शब्द और मूल भावना दोनों का ध्यान रखा जाएगा।
क्या कहती है भारत सरकार की गाइडलाइंस?
भारत सरकार की 2016 की गाइडलाइंस के अनुसार, हाथियों जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचाने के लिए विद्युत लाइनों को हाथी की सूंड की पहुंच के अनुसार ऊंचाई पर रखा जाना चाहिए।
एक वयस्क हाथी की लंबाई 20 फीट तक हो सकती है, जब वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा होता है और सूंड ऊपर उठाता है। इस गाइडलाइन के तहत, बिजली कंपनी को हाथियों के आवागमन वाले वन क्षेत्र में विद्युत लाइनों की ऊंचाई 20 फीट तक बढ़ानी होगी और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने का कार्य करना होगा।
एक-दूसरे पर खर्च वहन करने की जिम्मेदारी डाल रहे दोनों विभाग
बिजली कंपनी ने हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु के मुद्दे पर 2018 में सिंघवी द्वारा दायर की गई पहली जनहित याचिका (Bilaspur High Court) के संदर्भ में वन विभाग से 1674 करोड़ रुपये की मांग की थी।
इस राशि का उपयोग लगभग 8500 किलोमीटर लंबी 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब वाली लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने, बेयर कंडक्टर के बजाय कवर्ड कंडक्टर और एबीसी केबल लगाने के लिए किया जाना था।
इसके बाद से दोनों विभाग एक-दूसरे पर खर्च वहन करने की जिम्मेदारी डालते रहे हैं। इस स्थिति को लेकर 2021 में सिंघवी ने फिर से जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने मांग की कि खर्चे की जिम्मेदारी किसके ऊपर होगी, यह स्पष्ट किया जाए।
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