MP High Court On BJP Leaders: मध्य प्रदेश के तीन बड़े भाजपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। एमपी हाईकोर्ट ने आज तीनों नेताओं की याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ चल रहे मानहानि केस को जारी रखा है। इसके साथ ही उन्हें एमपीएमएलए कोर्ट (MPMLA Court) में भी हर हाल में हाजिर होना होगा। वरना उनके खिलाफ वारंट जारी होगा। बीजेपी नेताओं ने एमपीएमएलए कोर्ट से नोटिस मिलने और
तीनों नेताओं पर है 10 करोड़ी की मानहानि का केस
दरअसल एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान, विष्णु दत्त शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया था। तीनों नेताओं (Shivraj Singh Chauhan, VD Sharma, Bhupendra Singh) ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट की जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी। बता दें राज्यसभा सदस्य, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और अधिवक्ता विवेक तन्खा ने विशेष कोर्ट में उक्त तीनों नेताओं के विरुद्ध आपराधिक अवमानना और 10 करोड़ रुपये की मानहानि का प्रकरण दायर किया था।
इस मामले में दायर हुआ था केस
विवेक तन्खा ने आरोप लगाया था कि शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह तीनों भाजपा नेताओं ने उनके विरुद्ध प्रिंट और दृश्य मीडिया (TV And Digital Media) में अपमानजनक टिप्पणी करने के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के समक्ष हुई कार्यवाही का दुष्प्रचार करके दंडनीय अपराध किया है। तन्खा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और हरजस छाबड़ा ने पैरवी की। वहीं शिवराज सिंह चौहान और अन्य की ओर से वरिष्ठ वकील सुरेन्द्र सिंह ने पक्ष रखा।
तीनों नेताओं ने गलतबयान दिया
वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो तीनों भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने गलतबयानी करके ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया। जिससे उनकी छवि व अदालत की गरिमा को ठेस पहुंची है। यह मानहानि का मामला उन्होंने एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक वकील के रूप में दायर किया है उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में नजीर पेश की जाए।
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बीजेपी नेताओं के वकील ने रखे ये तर्क
निचली अदालत से तीनों नेताओं को समन और वारंट जारी हुए थे और उन्हें हाजिर होने कहा गया था। इसी से क्षुब्ध होकर शिवराज सिंह व अन्य ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट ने पूर्व में उक्त नेताओं के विरुद्ध वारंट पर रोक लगा दी थी। भाजपा नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने दलील दी कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उनका उद्देश्य किसी की मानहानि करना नहीं था।