CM Rise School Ratlam: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले सीएम राइज शासकीय विनोबा हायर सेकेंडरी स्कूल को वर्ल्ड में नंबर 1 की रैंकिंग मिली है। इंटरनेशनल लेवल पर एजुकेशन के क्षेत्र में दिए जाने वाले अवॉर्ड द वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइजेस में पूरे देश से एकमात्र सरकारी स्कूल का सिलेक्शन इनोवेशन कैटेगरी में हुआ है। इसी कैटेगरी में रतलाम के सीएम राइज स्कूल ने थाईलैंड और यूके के स्कूलों को पीछे छोड़ दिया। हालांकि प्रदेश में कई जगह सरकारी स्कूलों के हालत बदतर हैं, वे रतलाम के स्कूल और वहां के शिक्षकों की टीम से प्रेरणा लेंगे ये देखने वाली बात होगी।
स्कूल को मिलेंगे 8 लाख रुपए
गुरुवार को लंदन की संस्था ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन T4-इजुकेशन ने एक घोषणा की। रतलाम के इस स्कूल को 10,000 यूके डॉलर, यानी 8 से 8.30 लाख रुपए की राशि मिलेगी। इनोवेशन कैटेगरी के टॉप-3 में इस स्कूल के साथ यूके के ग्रेंज स्कूल और थाईलैंड के स्टारफिश स्कूल का चयन 19 सितंबर को हुआ था। इससे पहले, 13 जून को सीएम राइज विनोबा स्कूल को देश के टॉप-10 में T4-इजुकेशन द्वारा चयनित किया गया था। इस उपलब्धि को लेकर सीएम मोहन यादव और स्कूल शिक्षा मंत्री ने रतलाम के स्कूल (CM Rise School MP) के शिक्षकों और छात्रों को बधाई दी है।
इस तरह हासिल किया नंबर वन का मुकाम
विनोबा स्कूल के वाइस प्रिंसिपल गजेंद्र सिंह राठौर ने दो साल पहले ‘साइकिल ऑफ ग्रोथ मेकैनिज्म’ की शुरुआत की, जिसमें टीचर्स के प्रोफेशनल डेवलपमेंट और स्टूडेंट्स की दक्षता में सुधार के लिए कई इनोवेटिव तरीके अपनाए गए। इसमें टीम बिल्डिंग, वन ऑन वन फीडबैक, रिवॉर्ड एंड रिकगनाइजेशन, पेरेंटल इंगेजमेंट, कम्युनिटी लर्निंग रिसोर्स, और इनोवेटिव टीचिंग लर्निंग मटेरियल शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप स्कूल में सहजता से सीखने का वातावरण बनाया गया और स्टूडेंट्स की अटेंडेंस और दक्षता में सुधार हुआ।
प्रदेश के कई सीएम राइज स्कूलों का हाल बदतर
एक तरफ जहां रतलाम के सीएम राइज स्कूल को वहां के शिक्षकों की मेहनत ने नंबर बनाया है। वहीं प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों का हाल बदतर है। बता दें प्रदेश के 270 सरकारी स्कूलों को सीएम राइज स्कूल के रूप में सर्व-सुविधायुक्त बनाने की योजना दो साल पहले शुरू हुई थी। इसके बाद अब भी कई स्कूल बदहाल स्थिति में हैं। राजधानी भोपाल के बरखेड़ी में स्थित सीएम राइज स्कूल (CM Rise School Condition) में फर्नीचर नहीं होने के कारण छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थी नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। हालांकि पहली से पांचवीं और नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर उपलब्ध है। इस स्कूल में स्मार्ट बोर्ड भी नहीं हैं।
कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी, स्कूल में शौचालय भी नहीं
12 जुलाई 2024 को नीति आयोग की एसडीपी रिपोर्ट (MP School Education System Poor) के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 25 फीसदी स्कूलों में शौचालय, पानी, अच्छे भवन तक नहीं हैं। राज्यों के लिए निर्धारित 16 लक्ष्यों में से एक लक्ष्य क्वालिटी एजुकेशन के मामले में मध्यप्रदेश 5 राज्यों के साथ रेड जोन कैटेगरी में है। इसी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 2621 स्कूलों (Teachers Vacancy In MP) में एक भी शिक्षक नहीं है। 28 राज्य और 8 केंद्र शासित राज्यों में एमपी की 31वीं रैंक है जो शर्मनाक है। मध्य प्रदेश के 7189 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत है।
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नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इन बुनियादी सुविधाओं की कमी
- मध्यप्रदेश के 74% स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा नहीं है।
- पहली से आठवीं कक्षा में राज्य का सकल नामांकन अनुपात 81.5% है, जो देश के औसत 96.5% से काफी कम है।
- प्रदेश के 49% छात्र 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- प्रदेश में हर 23 छात्रों पर एक शिक्षक है।
- 9वीं और 10वीं कक्षाओं में पढ़ाने वाले 11% शिक्षक की स्किल नहीं है।
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