MP High Court Notice Health Commissioner: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की पोस्टिंग में देरी के मामले में हेल्थ कमिश्नर और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा कि एमबीबीएस (MBBS Students) की पढ़ाई के बाद डॉक्टरों को पोस्टिंग में डेढ़ साल की देरी क्यों हो रही है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के सर्विस बॉन्ड के उल्लंघन पर 25 लाख रुपये की पेनल्टी की वैधता पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी 4 हफ्तों में जवाब मांगा गया है।
एक तरफ पेनाल्टी दूसरी तरफ पोस्टिंग में देरी
हाईकोर्ट में भोपाल के डॉक्टर अंश पंड्या ने याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि एक तो डॉक्टर को एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी पोस्टिंग देने में डेढ़ साल तक की देरी की जा रही है। दूसरी तरफ रूरल सर्विस बॉन्ड का उल्लंघन होने पर उन पर 25 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई जा रही है। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पोस्टिंग में देरी क्यों हो रही, वहीं आप ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग छोड़ने पर 25 लाख का जुर्माना क्यों ले रहे हैं।
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एकेडमिक करियर भी हो रहा प्रभावित
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि एमबीबीएस डॉक्टरों (MBBS Doctors) के पोस्ट ग्रेजुएशन में 7 साल की देरी हो रही है, जिससे उनके एकेडमिक करियर में पिछड़ने का खतरा है। याचिकाकर्ता अंश पंड्या के वकील आदित्य संघी का कहना है कि नियम यह है कि जैसे ही छात्र को MBBS करके निकलने के तुरंत बाद नौकरी दी जाए। लेकिन ये नौकरी जो दी गई है, वो उसके रिजल्ट आने के डेढ़ साल बाद मिली है। इसका मतलब यह है कि पांच साल उसे ग्रामीण क्षेत्र में काम करना है, इसके बाद डेढ़ साल और नौकरी का इंतजार करते-करते बर्बाद हुए।
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