SC on Child Marriage: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के मसले पर सुनवाई की. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ” खासकर लड़कियों के मामलों में बाल विवाह के मुद्दे से निपटने के लिए एक अंतर्विरोधी दृष्टिकोण की जरुरत है.
भारत में बाल विवाह में वृद्धि का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह पर रोकथाम पर कानून के इम्प्लीमेंटेशन के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं.
बता दें एनजीओ ने जनहित याचिका में कहा कि” राज्यों में बाल विवाह (SC on Child Marriage) निषेध अधिनियम का अच्छा इम्प्लीमेंटेशन नहीं हो रहा है. देश में कई जगह बल विवाह के मामले बढ़ रहें हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि “बाल विवाह निषेध अधिनियम के इम्प्लीमेंटेशन को किसी व्यक्तिगत कानून या परंपरा से बाधित नहीं किया जा सकता”.
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह से निपटने के लिए विशेष रूप से बालिकाओं के मामले में एक अंतर्विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
देश में बाल विवाह में वृद्धि का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह की रोकथाम पर कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए।
Supreme Court says that addressing child marriage requires an intersectional approach especially when dealing with girl child.
Delivering judgment on PIL alleging rise in child marriages in the country, the Supreme Court issues a slew of guidelines for effective implementation… pic.twitter.com/MEVIBxYnHq
— ANI (@ANI) October 18, 2024
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मैरेटल रैप पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह को रोकने और समाज से एलिमिनेट को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है. इस एक्ट ने 1929 के बाल विवाह निरोधक एक्ट की जगह ली है.
इससे पहले भी गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि वह भारतीय (SC on Child Marriage) दंड सहिंता (IPC) और भारतीय न्याय सहिंता (BNS) के दंडनीय प्रोविजन की कॉन्स्टीट्यूशनल वैलिडिटी पर फैसला लेगी, जो बलात्कार के अपराध के लिए पति को प्रोसेक्युशन से छूट प्रदान करता है.
पीठ ने केंद्र की इस दलील पर याचिकाकर्ताओं की राय जाननी चाही कि इस तरह के कृत्यों को दंडनीय बनाने से वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के बारे में गाइडलाइन जारी की है. उन्होंने कहा कि जब माता-पिता अपने छोटे बच्चों की शादी बड़े होने पर करने की योजना बनाते हैं, तो इससे बच्चों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं रहता है.
यह निर्णय तब आया जब किसी ने देश में बाल विवाह को (SC on Child Marriage) रोकने में मदद के लिए कोर्ट से अनुरोध किया. कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि वह अलग-अलग राज्यों से बात करे और बताए कि वे बाल विवाह के खिलाफ कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रहे हैं.