karwa Chauth 2024 Vrat Katha Puja Samagri Moon Rise Time: करवा चौथ को कुछ ही दिन बचे हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत के साथ पति की दीर्घायु के लिए कामना करेंगी। इस दिन रात में चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य देकर व्रत का परायण होगा। चलिए जानते हैं कि…
हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ पर चांद निकलने का समय क्या हैं।
भोपाल में चांद कर निकलेगा।
करवा चौथ पर पूजा करने का सही मुहूर्त क्या है।
करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री लिस्ट
करवा चौथ 2024 परंपरा, व्रत, और विशेष महत्त्व
करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ व्रत के नियम
भोपाल में चांद कब निकलेगा
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री (9893159724) ने बताया सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय चंद्रास्त के समय में स्थान के अनुसार अक्षांश-देशांश के कारण समय में अंत हो जाता है।
लोक विजय पंचांग के अनुसार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चंद्रोदय का समय शाम 7:39 बताया जा रहा है, हालांकि पूर्ण रूप से चंद्र से पूर्ण रूप से लालामी लिए चांद निकलने का समय रात 9:30 तक हो जाता है।
करवा चौथ पर पूजा करने का सही मुहूर्त क्या है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार करवा चौथ पर पूजा सूर्यास्त के बाद कभी भी की जा सकती है, लेकिन पूजा का समय शाम 6 बजे से 9 बजे तक सबसे शुभ है।
*करवा चौथ 2024 परंपरा, व्रत, और विशेष महत्त्व*
करवा चौथ, हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार पर महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में बेहद खास है। पर अब धीरे-धीरे ये पूरे देश में बेहद लोकप्रिय होता जा रहा है। इस साल करवा चौथ व्रत 20 अक्टूबर को आ रहा है।
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करवा चौथ व्रत का महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पाण्डेय (8959594400) के अनुसार करवा चौथ का सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व नहीं है, बल्कि यह त्योहार पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक भी है। इस दिन, विवाहित महिलाएँ दिनभर उपवास रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं।
करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियाँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। इसमें दो कथाएं सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।
पहली करवा चौथ की *वीरवती की कथा*
दूसरी करवा चौथ की *सत्यवान-सावित्री की कथा*
करवा चौथ की *वीरवती की कथा*
वीरवती नामक एक सुंदर रानी की कहानी करवा चौथ से जुड़ी हुई है। वीरवती अपने सात भाइयों की अकेली बहन थी और उसकी शादी के बाद वह पहली बार करवा चौथ का व्रत रखती है।
वह अपने भाइयों के घर पर थी और दिनभर बिना खाए-पिए, व्रत कर रही थी। दिनभर भूखी और प्यास से उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसके भाई उसकी पीड़ा देखकर चिंतित हो गए।
वीरवती के भाइयों ने बहन की हालत देखकर उसे व्रत तोड़ने के लिए प्रेरित करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक पेड़ पर एक दर्पण लटकाया और बहन से कहा कि चंद्रमा निकल आया है।
धोखे से वीरवती ने चंद्रमा का दर्शन करके अपना व्रत तोड़ दिया, लेकिन जैसे ही उसने भोजन किया, उसे खबर मिली कि उसके पति की मृत्यु हो गई है।
वीरवती को बहुत दुःख हुआ और उसने अपने पति के शव के पास रातभर बैठकर रोना शुरू किया।
उसकी भक्ति और दृढ़ संकल्प से देवी मां प्रसन्न हो गईं और उसे आशीर्वाद दिया कि उसके पति को फिर से जीवन प्राप्त होगा।
इस प्रकार वीरवती ने करवा चौथ का व्रत विधिपूर्वक पूर्ण करके अपने पति को पुनः जीवित किया।
तभी से करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाने लगा।
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करवा चौथ व्रत कथा-सत्यवान-सावित्री की कहानी
यह कथा भी करवा चौथ से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। सावित्री एक पतिव्रता नारी थी। जिसने अपने पति सत्यवान के लिए यमराज से भी संघर्ष किया था।
जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया, यमराज उनके प्राण लेकर जा रहे थे।
सावित्री ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा और यमराज का पीछा करते हुए उन्हें अपने पति को वापस जीवन देने के लिए मना लिया।
सावित्री की दृढ़ता और पति के प्रति उसकी भक्ति देखकर यमराज प्रसन्न हुए और सत्यवान को जीवनदान दिया। यह कथा पतिव्रता धर्म और पति के प्रति नारी की समर्पण भावना का प्रतीक है।
करवा चौथ के बारे में तीसरी कहानी करवा माता की है। करवा माता एक पतिव्रता स्त्री थीं। इनके पति नदी में स्नान कर रहे थे, तभी एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया।
करवा ने अपनी पति भक्ति के बल पर मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध लिया और यमराज से अपने पति के जीवन की रक्षा की याचना की। करवा की प्रार्थना सुनकर यमराज ने मगरमच्छ को मार डाला और करवा के पति को लंबी आयु का वरदान दिया।
करवा की इस निष्ठा और भक्ति के कारण करवा चौथ का त्योहार पतिव्रता स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
करवा चौथ व्रत के नियम
करवा चौथ का व्रत किस तरह करना चाहिए। इसके कुछ नियम है।
यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है, जिसे ‘सरगी’ के रूप में जाना जाता है।
सरगी सास द्वारा अपनी बहू को दी जाती है।
जिसमें फल, मिठाइयाँ, और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ होते हैं।
ताकि वह दिनभर उपवास करने की शक्ति पा सके।
दिनभर बिना पानी पिए महिलाएँ व्रत करती हैं, और शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है।
करवा चौथ चंद्रमा निकलने के बाद पूजा करने का विशेष महत्व है। शाम के समय महिलाएं सौलह श्रृंगार करके समूह में इकट्ठी होकर कथा सुनती हैं। जिसमें करवा चौथ की पौराणिक कहानियां सुनाई जाती हैं।
पूजा के दौरान करवा (मिट्टी का पात्र) का प्रयोग किया जाता है।
जिसे पति की प्रतीकात्मक सुरक्षा के रूप में देखा जाता है।
महिलाएँ करवा को भगवान गणेश और चंद्रमा के सामने रखकर पूजा करती हैं और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं।
इस व्रत को धार्मिक दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है।
करवा चौथ व्रत रखने का वैज्ञानिक कारण या साइंस
करवा चौथ व्रत रखने का वैज्ञानिक कारण या साइंस भी है। दिनभर उपवास करने से शरीर की पाचन क्रिया में सुधार होता है और इसे एक प्रकार की डिटॉक्स प्रक्रिया माना जाता है। साथ ही, यह पति-पत्नी के बीच मानसिक और भावनात्मक संबंधों को मजबूत करने में भी सहायक होता है। इसलिए करवा चौथ पर महिलाएँ पारंपरिक पोशाक जैसे साड़ी या लहंगा पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
आजकल करवा चौथ के अवसर पर खास डिजाइनर आउटफिट्स और ज्वेलरी का चलन भी बढ़ गया है, जिससे यह त्योहार और भी आकर्षक हो जाता है।
यह एक ऐसा पर्व है जिस पर पति अपनी पत्नी को आवश्यक रूप से और अत्यंत विशेष उपहार देते हैं। इसमें आभूषण, कपड़े और अन्य खास तोहफे शामिल होते हैं।
इसके अलावा, महिलाएँ भी अपनी सास को सरगी के रूप में तोहफे देती हैं। जिससे सास और बहू के बीच में भी अच्छे संबंध बनते हैं।
आजकल पुरुष भी करवा चौथ पर अपने जीवनसाथी के साथ व्रत रखने लगे हैं।
कुंवारी कन्याएं भी अब इस बात को रखने लगी है।
करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह त्योहार पति-पत्नी सास बहू के रिश्ते को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है।
करवा चौथ व्रत तिथि चंद्रोदय समय
2024 में करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के साथ व्रत रखेंगी।
मध्य प्रदेश के सागर में 20 अक्टूबर को सुबह 6:15 पर सूर्य का उदय होना है और चंद्रमा का उदय रात्रि में 20:00 बजे है।
अतः व्रती इस दिन प्रात काल 6:15 से रात के 20:00 बजे तक व्रत रखेंगे पूजा का समय सायं काल 5 बजकर 5 1 मिनट से सांयकाल 8:00 तक का है।
हर शहर के लिए इस समय में थोड़ा परिवर्तन होगा जो कि वीडियो में आपको दिख रहा है।
करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री लिस्ट
करवा चौथ व्रत की पूजा के लिए आप पूजा सामग्री को लेकर परेशान न हों। इसके लिए आप चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के लिए पैसा रख लें।
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