Nirmala Sapre: करीब 5 महीने पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वालीं बीना विधायक निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) के सुर एक बार फिर बदल गए हैं। उनके इस्तीफे के सस्पेंस के बीच उन्होंने अब कांग्रेस छोड़ने से इंकार कर दिया है। निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) ने 10 अक्टूबर को विधानसभा में जवाब दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि- मैंने ऐसा कोई सबूत पेश किया है, जिससे ये साबित हो कि मैंने दल बदला है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार करने वालीं, बीजेपी के कार्यक्रमों में प्रमुखता से नजर आने वालीं और कांग्रेस से दूरी बनाने वाली निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) ने एक बार फिर क्यों यूटर्न लिया है। आईए समझते हैं।
5 मई 2024 को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने निर्मला सप्रे को बीजेपी की सदस्यता दिलाई। उन्होंने बीजेपी जॉइन करने की वजह जीतू पटवारी के उस विवादित बयान को बताया जो उन्होंने इमरती देवी पर दिया था।
बीजेपी जॉइन करने के साथ ही उन्होंने कहा था कि, – मैं जीतू पटवारी के इमरती देवी पर दिए बयान से आहत हूं। मैं आरक्षित वर्ग से हूं, महिला हूं, जीतू के बयान से मुझे बहुत ठेस लगी। मैंने बीजेपी को इसलिए चुना, क्योंकि यहां महिलाओं का सम्मान है। मैं बीना का जिला बनाने के लिए बीजेपी में शामिल हुई हूं।
निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए प्रचार भी किया था।
कुछ वक्त तक सब कुछ ठीक था, निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) बीजेपी के कार्यक्रमों में नजर आई। बड़े नेताओं से मेल-मुलाकातों का दौर भी चला। फिर आई तारीख- 4 सितंबर.. इस दिन इस दिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीना विधानसभा में एक बड़ा कार्यक्रम किया।
इसमें सागर जिले के तमाम विधायक (भूपेंद्र सिंह को छोड़कर) निर्मला सप्रे भी मौजूद थीं। सीएम मोहन ने बीना के लिए मंच से कई बड़े ऐलान किए। हालांकि जो उनकी सबसे बड़ी मांग थी (बीना को जिला बनाना) उस पर मोहन सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि यही से बीजेपी और निर्मला सप्रे के बीच दूरी बढ़ने की शुरुआत हुई।
सियासी गलियारों की मानें तो बीना विधायक निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) बीना के जिला नहीं बनने से नाराज हैं। बिना जिला बने अगर वो उपुचनाव में जाएंगी तो जनता उससे इसे लेकर सवाल पूछ सकती हैं।
इसके अलावा कांग्रेस छोड़ने के बाद इस क्षेत्र में उनकी छवि भी कमजोर हुई है। उन्हें डर है कि अगर उपचुनाव हार गईं तो विधायकी भी चली जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने 5 जुलाई को दलबदल कानून के तहत निर्मला सप्रे (Nirmala Sapre) की सदस्यता निरस्त करने की मांग की थी। नेता प्रतिपक्ष की याचिका पर निर्मला सप्रे ने जवाब देते हुए कहा था कि, मैंने दलबदल नहीं किया है।
अब विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर मामले की सुनवाई 21 अक्टूबर को कर सकते हैं। स्पीकर कांग्रेस से दलबदल के सबूत पेश करने को कह सकते हैं।
अगर इस पूरे मामले में देर होती है तो कांग्रेस हाई कोर्ट जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर 3 महीने में फैसला करना जरूरी है।
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