MP News: मध्य प्रदेश सरकार अब सरकारी अनुदान और विदेशी फंड लेने वाले एनजीओ (NGO) के कार्यों की जांच करेगी। ऐसे एनजीओ जो सरकार से अनुदान लेते हैं, लेकिन जनकल्याण के कार्यों के विपरीत काम करते हैं, उन्हें चिह्नित करके अनुदान बंद किया जाएगा। इसमें मध्य प्रदेश में संचालित मदरसों और मिशनरियों के NGO भी शामिल हैं। जिनपर भी ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, वन्यजीवों के संरक्षण में सक्रिय एनजीओ, विदेशी फंडिंग पर काम कर रहीं मिशनरी संस्थाएं, और आदिवासी समुदायों के बीच काम करने वाले एनजीओ की वार्षिक रिपोर्ट का परीक्षण किया जाएगा।
जांच में गड़बड़ी मिलने पर फंडिंग होगी बंद
इसके लिए सामाजिक न्याय और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग सहित अनुदान देने वाले विभाग अपने-अपने स्तर पर मूल्यांकन करेंगे और राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मध्य प्रदेश में पंजीकृत 1755 मदरसों में 9417 हिंदू बच्चों के पढ़ाई का आंकड़ा प्रस्तुत किया था। नियमों के अनुसार, इन बच्चों के प्रवेश के लिए अभिभावकों की अनुमति नहीं ली गई। आयोग के कड़े रुख के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ।
मदरसों में नहीं हो रहा था नियमों का पालन
ये मदरसे राज्य सरकार से अनुदान लेते हैं, लेकिन सरकार के नियमों का पालन नहीं करते पाए गए। इसके चलते श्योपुर के 56 अवैध मदरसों की मान्यता जुलाई में निरस्त कर दी गई और अन्य जिलों में भी जांच शुरू की गई है। यदि मदरसों की जांच में कोई गड़बड़ी मिली, तो उनकी फंडिंग बंद कर दी जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की भी होगी जांच
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश भर में बाघों के शिकार की अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका के चलते मध्य प्रदेश में बाघ संरक्षण से जुड़े अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की भी जांच की जाएगी। बांधवगढ़ के साथ-साथ मध्य प्रदेश में लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन, एसएलएमसी, विथ पार्टनर विनरोक, वर्टिवर फाउंडेशन, डब्ल्यूआरसीएस पुणे, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूटीआई, डब्ल्यूसीटी सहित अन्य गैर सरकारी संगठन सक्रिय हैं।
इन संस्थाओं की भी होगी जांच
ईसाई मिशनरी संस्थाएं भी जांच के दायरे में हैं। बाल आयोग ने भोपाल के आंचल ईसाई मिशनरी संस्था द्वारा संचालित चिल्ड्रन होम से 26 बच्चियों के गायब होने का मामला उजागर किया था। एनजीओ के संचालक अनिल मैथ्यू ने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए सड़कों से रेस्क्यू किए गए बच्चों को अपने चिल्ड्रन होम में रखा, लेकिन सरकार को इसकी सूचना नहीं दी।
ईसाई धर्म में ढालने का हो रहा था प्रयास
बच्चियों को ईसाई धर्म के अनुरूप ढालने का प्रयास किया जा रहा था, और संस्था को जर्मनी से फंड मिल रहा था। इसी तरह, डिंडोरी के मिशनरी स्कूल जुनवानी में नाबालिग आदिवासी छात्राओं के साथ यौन शोषण और मतांतरण का मामला भी सामने आया। यह स्कूल रोमन कैथोलिक समुदाय की जबलपुर डायोकेसन एजुकेशन सोसाइटी (जेडीईएस) द्वारा संचालित किया जाता है। इन दोनों संस्थाओं को विदेश से फंडिंग मिलती है।