MP Pensioners DR High Court News: महंगाई राहत (dearness relief) को लेकर सरकार पेंशनर्स को घुमा रही है। डीआर देने में छत्तीसगढ़ से अनुमति लेने का नियम ही गलत है।
ये बात पेंशनर्स ने वेलफयर एसोसिएशन ( MP pensioners Welfare Association ) ने रविवार को एक बैठक में कही। संगठन की चुनौती है कि सरकार उन्हें पेंशन (Sarkari Pension) देने में आना कानी कर रही है। इसे लेकर उनके द्वारा हाईकोर्ट (High Court) में याचिका दायर की गई है।
पेंशनर्स ने याचिका में क्या कहा
आपको बता दें मध्यप्रदेश के पेंशनर्स ने राज्य सरकार से महंगाई राहत (DR News Update) को लेकर आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो गए हैं। इसे लेकर उन्होंने हाई कोर्ट (High Court News in Hindi) में एक साथ तीन याचिकाएं दायर की हैं। रविवार को पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ( MP Pensioners Welfare Association Meeting) बैठक हुई। जिसमें इस रणनीति का खुलासा किया। जिसमें राज्य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganization Act) का हवाला देकर कहा गया, कि राज्य सरकार महंगाई राहत (DR) देने में आनाकानी करके देरी करती है।
बैठक में ये रहे मौजूद
रविवार को हुई इस बैठक में संगठन के संरक्षक गणेश दत्त जोशी, प्रदेश अध्यक्ष अमोद सक्सेना, जिला अध्यक्ष सुरेश शर्मा, प्रमोद सिंघल, हरेंद्र तिवारी सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) में यह कहीं भी यह उल्लेख नहीं है, कि महंगाई राहत देने के लिए पूर्ववर्ती राज्य से अनुमति ली जाए। उनके अनुसार पेंशनर्स (MP Pensioners News in Hindi) की दूसरी याचिका छठवें वेतन के तहत वार्षिक वेतन वृद्धि को लेकर दायर की गई है। जिसे लेकर बताया गया कि ये वेतन वृद्धि पेंशनरों को 18 महीने बाद दी गई।
तीसरी याचिका वेतन वृद्धि को लेकर
पेंशनर्स ने जो तीसरी याचिका दायर (Pensioners Welfare Association filed three petitions) की गई है वह 30 जून और 31 दिसंबर को दी जाने वाली वेतन वृद्धि को लेकर है।
हालांकि इस याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का जिक्र भी किया है, जिसमें लिखा गया था, कि यह सभी को मिलनी चाहिए। सिर्फ उनको नहीं जो अदालत पहुंचे थे।
क्या कहना है पेंशनर्स का
बैठक में पेंशनर्स (MP Pensioners DR High Court News in Hindi) ने कहा कि वेतन पुनरीक्षण नियम-2009 में संशोधन नहीं होने से उन्हें वेतनवृद्धि का नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि हमने मार्च 2012 में केंद्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलर के आधार पर मध्य प्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम- 2009 में संशोधन के लिए पत्र लिखा था।
इस इस पत्र को वित्त विभाग ने सहमति के साथ प्रस्तुत किया था। इसके लिए वर्ष 2012 में मुख्य सचिव ने भी अनुमोदन किय था, लेकिन इसे 12 वर्ष बाद भी संशोधन आदेश को लंबित रखा है।
पेंशनर्स का दावा, 24 वर्षों से हो रहा शोषण
पेंशनर्स का कहना है कि प्रदेश के पेंशनरों का मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम-2000 की धारा 49(6) की आड़ में 24 वर्षों से आर्थिक शोषण हो रहा है।
वेतन पुनरीक्षण नियम-2009 में संशोधन का लाभ प्रदेश के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 1 जनवरी 2006 से देकर प्रदेश के कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित किया है।
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