MP High Court News: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अवमानना से जुड़े मामले में गृह विभाग के तत्कालीन एसीएस और वर्तमान में जीएडी के एसीएस संजय दुबे पर सख्त टिप्पणी की है। आपको बता दें कि ये मामला पुलिस विभाग के एक अधिकारी विजय कुमार पुंज से जुड़ा है। मार्च में हाई कोर्ट ने पुंज की याचिका पर उनके प्रमोशन के बंद लिफाफे पर निर्णय लेने का आदेश राज्य शासन को दिया था।
6 महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो पुंज ने अवमानना याचिका दायर की। सरकारी वकील ने कहा कि मामले में कैबिनेट से समन्वय किया जाना है इसलिए देरी हो रही है।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
आपको बता दें कि इस बात पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे अधिकारी को इस्तीफा दे देना चाहिए जो 6 महीने में भी कैबिनेट से समन्वय नहीं बना सकते। कोर्ट ने एसीएस के (MP High Court News) वकील को चेतावनी दी है कि वे 14 अक्टूबर तक याचिकाकर्ता के प्रमोशन पर फैसला लें। अन्यथा अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहें। यदि उन्हें लगता है कि आदेश गलत है तो उसके खिलाफ अपील करें।
इस महीने होना है रिटायरमेंट (MP High Court News)
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष के वकील ने जवाब देने के लिए एक माह की मोहलत मांगी थी। कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता का रिटायरमेंट कब है, तो पता चला कि इसी महीने की 31 अक्टूबर (MP High Court News) को उनका रिटायरमेंट हैं। इसके बाद कोर्ट ने फिर से पूछा आप कारण बताइए कि क्यों आपके अधिकारी इस पर फैसला नहीं ले पा रहे हैं? जब याचिकाकर्ता का इसी महीने रिटायरमेंट होना है।
16 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल ने अवमानना प्रकरण पर सुनवाई करते हुए ओपन-कोर्ट में अपनी तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि प्रशासनिक अधिकारी छह माह में भी आदेश का पालन नहीं करा सकते तो पद से त्यागपत्र दे दें। कोर्ट ने यह कटाक्ष गृह विभाग के तत्कालीन एसीएस और वर्तमान में जीएडी के एसीएस संजय दुबे पर किया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि 14 अक्टूबर तक आदेश का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो अनावेदक अधिकारी अवमानना कार्रवाई के लिए तैयार रहें। यदि उन्हें आदेश अनुचित लगे तो अपील करने स्वतंत्र होंगे। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को नियत की गई है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने रखा पक्ष (MP High Court News)
याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारी विजय पुंज की ओर से अधिवक्ता मनोज चंसोरिया ने पक्ष रखा। उन्होंने अवगत कराया कि फिलहाल इस मामले की आर्डर-शीट बाहर नहीं आई है। किंतु ओपन कोर्ट में जताई गई नाराजगी उल्लेखनीय है। कोर्ट ने मौखिक आदेश में साफ कर दिया है कि अवमानना याचिकाकर्ता की पदोन्नति का लिफाफा खोलकर लाभ प्रदान किया जाए।
दरअसल, हाई कोर्ट ने मार्च में पुंज की याचिका पर सुनवाई (MP High Court News) करते हुए राहतकारी आदेश पारित किया था, लेकिन छह माह बीतने के बावजूद राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता यह तर्क दे रहे हैं कि मामले में कैबिनेट से समन्वय किया जाना है इसलिए देरी हो रही है। इस दलील को गंभीरता से लेकर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर दी कि ऐसे अधिकारी को इस्तीफा दे देना चाहिए जो 6 माह बीतने के बावजूद कैबिनेट से समन्वय नहीं बना पाए हैं।
अधिवक्ता मनोज चंसोरिया ने बताया कि याचिकाकर्ता पुंज इसी वर्ष 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लिहाजा, राज्य शासन के वकील की ओर से एक माह की मोहलत मांगना बेमानी है। यह सुनने ही कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से पूछा आप कारण बताइए कि क्यों आपके अधिकारी सेवानिवृत्ति की कगार पर पहुंच चुके अवमानना याचिकाकर्ता के प्रकरण में लिफाफा खोलकर पदोन्नति का लाभ नहीं दे रहे हैं।
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