Transport Constable Appointment Controversy: मध्य प्रदेश में एक बार फिर व्यापमं का ‘जिन्न’ बाहर आया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 12 साल बाद सरकार ने परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश दिया। इस आदेश के 7 दिन के अंदर मामला वापस हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंच गया।
जिन परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति दाव पर लग गई उन्होंने आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट ग्वालियर का दरवाजा खटखटाया है। इस पूरे प्रकरण के बाद एक बार फिर व्यापमं का नाम चर्चा में आ गया है।
ये है पूरा मामला
साल 2012 में मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने परिवहन आरक्षक भर्ती करने के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसमे महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर विभाग ने पुरुषों को भर्ती कर लिया था। विवाद उठा तो तर्क दिया गया कि महिलाओं के लिए 100 पद आरक्षित थे लेकिन केवल 40 महिलाएं ही इस पद पर भर्ती के लिए पात्र पाई गईं।
महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर पुरुषों की भर्ती के खिलाफ एक महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले यह नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश पारित किया। शासन ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। जिसके बाद पुरुष परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के 19 सितंबर को आदेश जारी हुए।
17 पहले ही दे चुके हैं त्यागपत्र
कुल 45 पुरुष परिवहन आरक्षक की नियुक्ति होना है। मामले में एक दस्तावेज भी सामने आया है, जिसके अनुसार मार्च 13 में ही 17 परिवहन आरक्षक त्यागपत्र दे चुके हैं। यानी 28 परिवहन आरक्षक ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति पर खतरा है।
व्यापमं ने 198 आरक्षकों के बजाय 332 आरक्षकों का चयन किया था। आरोप है कि महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित सीटों पर 45 पुरुष अभ्यर्थियों को शासन ने चयनित कर लिया था।
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सरकार को दो सप्ताह में देना है जवाब
इस कोटे में भर्ती तीन आरक्षकों ने बर्खास्तगी की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याचिका दायर की है। इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 25, 2024
हाईकोर्ट ने याचिका पर मांग के अनुसार फिलहाल रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन शासन को नोटिस देकर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है।
कांग्रेस ने लगाया ये आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने हाईकोर्ट में जिरह के दौरान नियुक्तियों को वैध ठहराया था। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा कि अगर नियुक्तियां वैध थी तो अब निरस्त क्यों की गई है?
व्यापमं ने साल 2012 में परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा ली थी। यह वही समय है जब उस दौर की भर्तियों को व्यापमं घोटाले से जोड़ा गया था।