Supreme Court Stayed on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए पूरे देश में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। यह आदेश उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए हैं, जिससे राज्यों में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर अस्थायी रोक लग गई है। कोर्ट ने यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए दिया है। आपको बता दें कि ये रोक 1 अक्टूबर 2024 तक लगाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में मांग की गई है कि जहां-जहां गलत बुलडोजर कार्रवाई से लोगों को नुकसान हुआ है। उन पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि बुलडोजर एक्शन में शामिल अधिकारियों और इससे पीड़ित लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाएं।
इस याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है, ताकि पूरे देश में इस तरह की कार्रवाइयों पर पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके और किसी भी प्रकार की अनुचित कार्रवाई के खिलाफ पीड़ितों को न्याय मिल सके।
जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध किया गया है कि बुलडोजर एक्शन के लिए एक सख्त प्रक्रिया निर्धारित की जाए। याचिका में मांग की गई है कि देशभर में बुलडोजर कार्रवाई केवल जिला जजों या मजिस्ट्रेट की मंजूरी से ही की जा सके।
इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया है कि बुलडोजर एक्शन किसके खिलाफ और क्यों लिया जा रहा है, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुलडोजर कार्रवाई न्यायिक निगरानी में हो और किसी भी प्रकार की अनुचित या मनमानी कार्रवाई न हो सके, जिससे लोगों को गलत तरीके से नुकसान न पहुंचे।
कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश (Supreme Court Stayed on Bulldozer Action)
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने दलील दी कि बुलडोजर कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई है, और किसी विशेष समुदाय को टारगेट करने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा है।
इस पर जस्टिस के वी विश्वनाथन ने स्पष्ट किया कि कोर्ट बाहरी बहसों या आरोपों से प्रभावित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस बहस में नहीं जाएगा कि किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है या नहीं, लेकिन अगर किसी भी गैरकानूनी विध्वंस का एक भी मामला सामने आता है, तो यह संविधान की भावना के खिलाफ होगा और इस पर ध्यान दिया जाएगा।
इन मामलों में कार्रवाई की छूट
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगाते हुए कहा कि देशभर में अगले आदेश तक बिना न्यायिक प्रक्रिया के किसी भी तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश पब्लिक रोड, गलियां, जलाशय, फुटपाथ, रेलवे लाइन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किए गए अवैध कब्जों पर लागू नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि “बुलडोजर न्याय” का महिमामंडन और दिखावे के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्रवाई केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत हो और मनमानी न हो।
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