Aparajita Bill: पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस का कहना है कि ममता सरकार की वजह से अपराजिता बिल अभी पेंडिंग हैं। ममता सरकार ने बिल के साथ टेक्निकल रिपोर्ट नहीं भेजी है। आपको बता दें कि टेक्निकल रिपोर्ट के बिना अपराजिता बिल को मंजूरी नहीं मिल सकती है।
राजभवन की तरफ गुरुवार (5 सितंबर) को जारी बयान में बताया गया है कि गवर्नर आनंद बोस ममता सरकार के इस रवैये से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। ममता सरकार ने महिलाओं से जुड़े इस बिल को लेकर पहले से कोई भी तैयारी नहीं की है।
राज्य सरकार पहले भी ऐसा करती रही है। विधानसभा से पास हुए कई बिल की टेक्निकल रिपोर्ट राजभवन नहीं भेजी जाती है। इससे बिल पेंडिंग हो जाते हैं, जिसका इल्जाम ममता सरकार राजभवन पर लगाती है।
सरकार ने पहले भी किया है ऐसा
राजभवन का कहना है कि पहले भी ममता सरकार कई बार ऐसा कर चुकी है। राज्यपाल का कहना है कि ममता सरकार ने पहले भी विधानसभा से पास हुए कई बिल की टेक्निकल रिपोर्ट राजभवन में नहीं भेजी थी, जिस वजह से ये बिल भी पेंडिंग हो जाते हैं। ममता सरकार बाद में इसका आरोप राजभवन पर लगाती रहती है।
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राज्यपाल ने रोके 9 बिल
1. अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024
2. विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल, 2023
3. विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल, 2022
4. पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2022
5. निजी विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल, 2022
6. कृषि विश्वविद्यालय कानून ( दूसरा संशोधन) बिल, 2022
7. स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2022
8. आलिया विद्यालय (संशोधन) बिल, 2022
9. शहर और देश (योजना और विकास) (संशोधन) बिल, 2022
इन राज्यों की कॉपी है बिल
सीवी आनंद बोस ने कहा, “यह पहली बार नहीं है, जब सरकार ने टेक्निकल रिपोर्ट नहीं भेजी और विधेयक को मंजूरी न देने के लिए राजभवन को दोषी ठहराया है।” राज्यपाल ने राज्य सरकार को इस तरह के अहम मामलों में होमवर्क न करने के लिए भी फटकार लगाई है। उन्होंने आगे कहा, “विधेयक आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश द्वारा पारित इसी तरह के विधेयकों की नकल है।”
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