Ganesh Chaturthi Fried Modak: मोदक पकौड़ी जैसी मिठाई है जो भगवान गणेश को बहुत पसंद है। चावल के आटे से बने भाप से पके मोदक (जिसे उकादिचे मोदक भी कहा जाता है) त्यौहार के दौरान सबसे ज़्यादा बनाए जाने वाले मीठे व्यंजन हैं, इसके अलावा भी कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।
हर साल गणेश चतुर्थी के त्यौहार के दौरान मैं भाप से पके मोदक या पथोली (भरवां चावल की मिठाई) या बनाने में आसान मिठाई, सूजी का हलवा या रवा लड्डू या बेसन के लड्डू जैसे कोई भी लड्डू बनाती हूँ।
भले ही तले हुए मोदक बनाने में सरल और आसान होते हैं, लेकिन पारंपरिक तरीके से बनाए गए भाप से पके मोदक हैं। तले हुए मोदक को मराठी भाषा में तलनिचे मोदक भी कहा जाता है।
क्या चाहिए
आटे के लिए:
1 कप मैदा (सादा आटा)
1 बड़ा चम्मच घी
चुटकी भर नमक
पानी (आवश्यकतानुसार)
भरावन के लिए:
1 कप कद्दूकस किया हुआ नारियल
1/2 कप गुड़ (कसा हुआ)
1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर
2 बड़े चम्मच खसखस (पोस्ता दाना)
1 बड़ा चम्मच काजू (कटा हुआ)
1 बड़ा चम्मच किशमिश
तेल (तलने के लिए)
कैसे बनाएं
आटा तैयार करें
सबसे पहले एक बर्तन में मैदा लें, उसमें घी और चुटकी भर नमक मिलाएं।
धीरे-धीरे पानी डालते हुए नरम आटा गूंथ लें। आटे को ढककर 15-20 मिनट के लिए अलग रख दें।
भरावन तैयार करें
एक पैन में खसखस को हल्का सा भून लें।
अब एक अन्य पैन में कद्दूकस किया हुआ नारियल और गुड़ डालें। इसे मध्यम आंच पर तब तक पकाएं जब तक गुड़ पूरी तरह से पिघल न जाए।
इसमें भुना हुआ खसखस, काजू, किशमिश और इलायची पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएं। मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें।
मोदक बनाएं
गूंथे हुए आटे से छोटी-छोटी लोइयां बना लें। हर लोई को पतला गोल बेल लें।
बेले हुए पूरियों के बीच में तैयार भरावन रखें और चारों किनारों को उठाकर मोड़ते हुए मोदक का आकार दें।
सारे मोदक इसी तरह तैयार कर लें। एक कढ़ाई में तेल गरम करें।
तैयार मोदक को मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें।
तले हुए मोदक को किचन पेपर पर निकालें ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए।
फ्राइड मोदक को ठंडा या गर्म दोनों तरीकों से परोसा जा सकता है।
क्यों है मोदक गणेश जी को प्रिय
जैसा कि हम सभी जानतें हैं कि भगवान गणेश को मोदक बहुत ज्यादा प्रिय है। इसका कारण पौराणिक कथाओं में भी है। कतहा के अनुसार एक बार की बात है माता पार्वती को देवताओं ने दिव्य मोदक दिया था।
इस दिव्य मोदक को देखकर कार्तिकेय और गणेश जी पार्वती माता से मोदक की मांग करने लगे। तब माता ने दोनों पुत्रों को मोदक का महत्व बताते हुए कहा कि मोदक की गंध से ही अमरता मिलती है और इसे सूंघने या खाने वाले को सभी शास्त्रों का ज्ञान, कलाओं का ज्ञान प्राप्त होता है.