CG Guest Lecturer Bharti: छत्तीसगढ़ में महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चर पदों पर भर्ती के लिए बनी उच्च शिक्षा विभाग की नीति विवादों में आ गई है। विभाग ने भर्ती के जो नियम बनाए हैं, उसके कारण विश्वविद्यालय में पढ़ा चुके शिक्षक अनुभवहीन माने जा रहे हैं।
दरअसल, विश्वविद्यालय में अंशकालीन शिक्षक के रूप में सालों तक पदस्थ रहे शिक्षकों के अध्यापन अनुभव को महाविद्यालयों में जीरो माना जा रहा है।
ये है विवाद
उच्च शिक्षा विभाग ने गेस्ट लेक्चरर के लिए जो भर्ती नियम तैयार किया है। उसमें अनुभव के लिए 30 अंक देने का प्रावधान किया गया है। इसमें लिखा गया है कि शासकीय महाविद्यालय में एक शैक्षणिक सत्र में न्यूनतम 5 माह अध्यापन कार्य पूर्ण करने पर 5 अंक दिए जाएंगे।
इसमें विश्वविद्यालय में अध्यापन के संबंध में कोई गाइडलाइन नहीं है। इसके आधार पर महाविद्यालय अपने यहां गेस्ट लेक्चरर की भर्ती करते समय विश्वविद्यालय के अध्यापन अनुभव को जीरो मानते हुए मेरिट लिस्ट तैयार कर रहे हैं।
हालांकि, यूजीसी के भर्ती नियम में अनुभव के लिए अधिकतम 10 अंक है। इसमें भी प्रत्येक वर्ष के लिए अधिकतम दो अंक है। इस नियम की भी अनदेखी की गई।
तीन मामले अभी तक आए हैं सामने
जांजगीर में अनुभव को माना जीरो
शासकीय टीएसएल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जांजगीर में रसायन शास्त्र के लिए जो मेरिट सूची बनाई गई है, उसमें विश्वविद्यालय के अनुभव को जीरो माना गया है। यहां डॉ. आडिल और डॉ. यादव को अनुभव के शून्य अंक मिले हैं। इसके कारण पहले और दूसरे नंबर पर जिसे होना चाहिए, वो मेरिट लिस्ट में दूसरे और चौथे नंबर पर पहुंच गया है।
डोंगरगढ़ में अनुभव के मिले अंक
शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोंगरगढ़ में भौतिकी विषय के लिए अतिथि व्याख्याता की मेरिट लिस्ट में विश्वविद्यालय के अनुभव पर अंक दिए गए हैं। कोटा रायपुर के मनोज को अनुभव के 15 अंक मिले हैं। ये अंक इनको विश्वविद्यालय में अध्यापन के आधार पर दिया गया है। बता दें कि यहां पीएचडी, नेट/सेट और एमफिल की अलग- अलग मेरिट लिस्ट बनी है।
धमतरी में पहले अंक दिए पर बाद में हटा दिए
नियम को लेकर महाविद्यालयों में कन्फ्यूजन को ऐसे समझा जा सकता है कि जिस आवेदक को जांजगीर के टीएलसी कॉलेज में अनुभव के अंक नहीं दिए गए। उसी को धमतरी के बीसीएस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विश्वविद्यालय में पढ़ाने के अनुभव के आधार पर अंक दिए गए हैं। हालांकि, अंतिम सूची में अनुभव को हटा दिया गया।
गेस्ट लेक्चरर से चलाया जाता है काम
राज्य शासन की ओर से कॉलेज में अतिथि प्राध्यापक के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. यूजी कॉलेज के लिए 6 माह और पीजी के कॉलेज के लिए 8 माह तक ही इन गेस्ट लेक्चरर्स को रखा जाता है.
इन्हें प्रति व्याख्यान ₹300 दिया जाता है और अगर कोई सहायक अध्यापक बीमार पड़ जाए या शासकीय छुट्टी या त्योहार में छुट्टी ले लेता है, तो उन्हें पेमेंट नहीं दिया जाता.
हालत यह है कि अगर कोई महिला प्राध्यापक प्रस्तुति अवकाश में चली जाए तो उन्हें पेमेंट नहीं मिलता. यहां तक कि उन्हें नौकरी से निकाल भी दिया जाता है. जिसको लेकर अतिथि प्राध्यापक कॉलेज में पढ़ाने के लिए कई बार इनकार भी कर देते हैं.