CG Barnawapara Abhyaran: छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभयारण्य में जल्दी ही बाघों की दहाड़ की गूंज सुनाई देगी। इसको लेकर एनटीसीए ने अपनी सहमति दे दी है। इसकी औपचारिकता और सर्वे के लिए सितंबर में यहा टीम आएगी। सहमति में एक बाघ और दो बाघिनों को यहां लाया जाएगा। पहले चरण में दो बाघिन को लाया जाएगा। इसके बाद बाघ को लाया जाएगा।
बता दें कि रायपुर से लगभग 85 किलोमीटर दूर स्थित बारनवापारा अभयारण्य (CG Barnawapara Abhyaran) में बाघों को बसाने का प्लान कई साल पहले से किया जा रहा है।
बाघों को बसाने का प्लान लगभग 15 साल पुराना है, जो अब सरकारी कार्रवाई की फाइलों से बाहर आया है। बारनवापारा-उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के एमडी ने यहां बाघों को बसाने की प्लानिंग का प्रेजेंटेशन दिया। जिसे दिल्ली में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने देखा। इसी प्रेजेंटशन के आधार पर एनटीसीए ने सहमति दी।
बाघ बसाने की प्लानिंग में 15 साल बाद आई तेजी
बारनवापारा (CG Barnawapara Abhyaran) के जंगलों में बाघों को बसाने की प्लानिंग पर बहुत तेजी से काम शुरू हुआ है। हालांकि यह प्रोसेस 15 साल से जारी है। इस बार इस पर तेजी से काम हो रहा है।
अगस्त की शुरुआत में बारनवापारा (CG Barnawapara Abhyaran) -उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के एमडी विश्वेष झा प्रेजेंटेशन देने दिल्ली पहुंचे थे। जहां प्रेजेंटेशन में बार के जंगलों में बाघ आसानी से कैसे बस सकते हैं बताया। साथ ही उनके भोजन के लिए जंगल में क्या व्यवस्था है, इसकी पर्याप्त उपलब्धता की जानकारी भी दी।
तीन चरणों में पूरी की जाएगी प्रक्रिया
इसी प्रोसेस के दौरान पिछले हफ्ते दिल्ली से वन विभाग के नेशनल डायरेक्टर और एनटीसीए के सदस्य सचिव रायपुर आए। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने उनको पूरा प्लान बताया। इस पर उन्होंने भी हरी झंडी दे दी।
वन विभाग के विशेषज्ञ बताते हैं कि बार में बाघों को बसाने की प्रोसेस तीन चरण में होगी। पहले चरण में विशेषज्ञों के द्वारा प्री-ट्रांस की करेगी। दूसरे चरण में ट्रांस लोकेशन व तीसरे चरण में पोस्ट ट्रांस लोकेशन होगा। इसका एक मॉडल सिस्टम बना है। इसके पालन के लिए विशेषज्ञों की टीम तैयार की गई है।
इसलिए प्रक्रिया में आई तेजी
जानकारी मिली है कि लगभग चार माह पूर्व एक बाघ भटककर बारनवापारा (CG Barnawapara Abhyaran) के जंगल में पहुंच गया। वह स्थाई रूप से यही रहने लगा। इस पर वन विभाग के द्वारा उसकी मॉनीटरिंग की। इसके बाद पता चला कि बाघ को यहां आसानी से भोजन मिल रहा है। इसके बाद इस जंगल में बाघों को बसाने के लिए प्रोसेस में तेजी आई।
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बार के जंगल में ये है जंगली जानवर
वन विभाग ने जानकारी दी कि बार (CG Barnawapara Abhyaran) के जंगल का कुछ क्षेत्र- 250 स्क्वेयर किमी है। यहां वर्ष 2002-03 तक बाघ का मूवमेंट हुआ करता था। जंगल में 10 हजार से ज्यादा हिरण-चीतल हैं। वहीं बायसन और नील गाय 5 हजार से अधिक हैं। जंगली सुअर और कोटरी भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं।