Pilot Baba: महायोगी पायलट बाबा ने मंगलवार को मुंबई के धीरूभाई कोकिला बेन अस्पताल में 86 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। बाबा के देहांत से सासाराम स्थित पायलट बाबा धाम आश्रम और भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई। बाबा लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।
आपको यहां हम बता रहे हैं कि सासाराम रियासत के राजकुमार कपिल सिंह कैसे पायलट बाबा बने, इसकी पूरी कहानी भी आगे बता रहे हैं। शुरुआत में विंग कमांडर कपिल सिंह भारतीय वायु सेना में पायलट थे।
पायलट बाबा के जापान-यूरोप में भी आश्रम
महायोगी पायलट बाबा के भारत के साथ साथ जापान और यूरोप में उनके आश्रम हैं। भारत में उनके महत्वपूर्ण आश्रमों में सासाराम, हरिद्वार, नैनीताल और उत्तरकाशी में है। बाबा ने आधा दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लिखी हैं। इसमें कैलाश मानसरोवर, ज्ञान के मोती, हिमालय के रहस्यों को जाने, अंतर्यात्रा, आप से स्वयं तक की तीर्थयात्रा और हिमालय कह रहा है आदि प्रमुख हैं।
पायलट बाबा कौन थे?
पायलट बाबा का जन्म रोहतास जिले के बिशनपुरा गांव में 1938 में हुआ था। वे चंद्रमा सिंह और तपेश्वरी देवी के पुत्र थे। आरंभ में वो पायलट थे, लेकिन बाद में उन्होंने संन्यास ले लिया था। बाबा का वास्तविक नाम कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी था, लेकिन भक्तों में वो पायलट बाबा के नाम से जाने जाते थे।
योग विद्या में सिद्धस्थ थे। पायलट बाबा लंबे समय तक समाधि या मुत्यु जैसी शारीरिक अवस्था में प्रवेश करने के लिए जाने जाते थे। उनकी समाधि हमेशा जमीन के नीचे होती थी।
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