World Mosquito Day 2024: हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मच्छर जनित बीमारियों से बचाने के लिए जागरुक करना है।
आपको बता दें कि मच्छर के काटने पर इंसानों को डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया समेत कई बीमारियों का खतरा होता है। मच्छर के काटने से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। यही कारण है कि इस दिन लोगों को सचेत करते हैं, ताकि वे जागरुक होकर मच्छरों के काटने और उसके कारण होने वाली बीमारियों की जानकारी रख सकें।
आज इस मौके पर हम आपको बता रहे है कि मच्छर भगाने के लिए गोदरेज ने कौनसा नया केमिकल लॉन्च किया है। इसके साथ ही ये भी बताएंगे कि हमारे देश में मच्छर मारने वाली इंडस्ट्री का करोबार कितना है। ये भी बताएंगे कि अमेरिका, जापान, जर्मनी, चीन और ताइवान में मच्छरों से बचने के लिए क्या उपाय करते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं।
सबसे पहले जान लेते हैं कि गोदरेज ने कौनसा नया केमिकल लॉन्च किया है
आपको बता दें कि मच्छरों के काटने से लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता देख भारत ने मच्छर जनित बीमारियों पर काबू पाने के लिए एक महत्वपूर्ण उप्लब्धि हासिल की है।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL) के वैज्ञानिकों ने अपने साझेदार के साथ मिलकर “रेनोफ्लुथ्रिन” केमिकल लॉन्च किया है। ये भारत का पहला स्वदेशी और पेटेंट मॉलिक्यूल है, जो कि मच्छरों पर काबू पाने में सबसे तेज लिक्विड वेपोराइजर फॉर्मूलेशन बनाता है।
अन्य किसी की तुलना में करता है दोगुना काम
वर्तमान में गोदरेज द्वारा बनाए गए नए केमिकल रेनोफ्लुथ्रिन से बने फॉर्मूलेशन भारत में किसी भी अन्य जगह उपलब्ध लिक्विड वेपोराइजर फॉर्मेट में पंजीकृत फॉर्मूलेशन की तुलना में मच्छरों के खिलाफ दोगुना काम करता है।
घरेलू कीटनाशकों की तुलना में GCPL अपने नए गुडनाइट फ्लैश लिक्विड वेपोराइजर में रेनोफ्लुथ्रिन फॉर्मूलशन पेश किया है, जो कि भारत का सबसे प्रभावशाली लिक्विड वेपोराइजर है।
केमिकल बनाने के लिए रिसर्च में लगे इतने साल
मच्छरों से लड़ने के लिए हर दशक में नए मॉलिक्यूल फॉर्मूलेशन की जरूरत पड़ती है। पिछले इनोवेशन के 15 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भारत के लोग बड़ी संख्या में मच्छरों को भगाने के लिए अगरबत्ती जैसी हाइली पोटेंट फॉर्मेट को आजमाने लगे हैं।
इन अगरबत्तियों में अपंजीकृत और अवैध चीनी विकसित मॉलिक्यूल का उपयोग किया जाता है। वहीं जीसीपीएल ने हमेशा सुरक्षित और प्रभावी नए मॉलिक्यूल फॉर्मूलेशन लॉन्च करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
गोदरेज और उसके ही एक साझेदार ने मिलकर ‘रेनोफ्लुथ्रिन’ और इसके फॉर्मूलेशन को विकसित करने के लिए 10 साल से ज़्यादा समय सिर्फ रिसर्च करने में लगा दिया था। इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर निवेश भी किया।
भारत का पहला मॉलिक्यूल
गोदरेज के MD और CEO सुधीर सीतापति की मानें तो रेनोफ्लुथ्रिन भारत का पहला ऐसा मॉलिक्यूल है, जो लोगों को अवैध मॉलिक्यूल वाले उत्पादों का उपयोग करने से बचाता है और भारत को आत्मनिर्भर बनाता है।
क्योंकि अब हमें अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मॉलिक्यूल का आयात नहीं करना पड़ेगा। रेनोफ्लुथ्रिन सबसे ज्यादा पाए जाने वाले मच्छरों जैसे एनोफिलीज, एडीज और क्यूलेक्स आदि पर अपना प्रभाव दिखाता है।
मच्छरों की दवाइयों से होती है इतनी इनकम
पिछले कुछ सालों में मच्छरों को पनपने में मदद करने वाली स्थितियों को जड़ से खत्म करने के कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन देश में मच्छरों का खात्मा संभव नहीं है।
मच्छरों से बचने के लिए बात सामने आती है दवाइयों की तो आपको बता दें कि भारत में मच्छरों को भगाने वाली दवाइयों का बाजार करीब 3 अरब से ज्यादा का है।
जैसे-जैसे भारतीयों को मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों की जानकारी मिलती जाती है, वैसे-वैसे मच्छरों से बचने और उन्हें भगाने की दवाइयों के बाजार में भी तेजी आती है।
विदेश ऐसे करते हैं मच्छरों से बचाव
जापान- जापान में मच्छरों से बचने के लिए एन्सेफलाइटिस टीके बनाए जाते हैं और इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका उपयोग ज़्यादातर बच्चों में किया जाता है।
जर्मनी- आमतौर पर स्प्रे या लोशन लगाया जाता है, जो कि कई घंटों तक मच्छर से सुरक्षा प्रदान करता है।
चीन- चीन ने मच्छरों से बचने के लिए SIT तकनीक की मदद ली है, जिसमें रेडिएशन की मदद से नर मच्छरों को नपुंसक बना दिया जाता है और धीरे–धीरे कुछ समय में मच्छर पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं।
ये खबर भी पढ़ें: World Mosquito Day 2023: विश्व मच्छर दिवस आज, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों का वाहक होता है एक मच्छर