MP Stray Animal Issue: प्रदेश की मुख्य सड़कों से 15 दिनों के अंदर आवारा पशु हटाए जाएंगे। राज्य शासन इसके लिये विशेष अभियान चलाएगा।
पहली बार ऐसा हुआ है जब आवारा मवेशी हटाने के अभियान की मॉनिटरिंग के लिये एसीएस होम की अध्यक्षता में 5 वरिष्ठ अधिकारियों की समिति का गठन किया है।
आवारा मवेशी प्रदेशभर में बड़ी समस्या
आवारा मवेशी प्रदेशभर में बड़ी समस्या है। सड़कों पर बैठने वाले आवारा मवेशियों में बड़ी संख्या दूधारु गायों की भी है।
पशुपालक या डेयरी संचालक गायों का दूध निकालकर उन्हें छोड़ देते हैं। गाय, बछड़े और बेलों के सड़कों पर बैठने से सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं।
सीएस के घर के बाहर मवेशी पकड़ने गए अमले के साथ विवाद
प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा भोपाल के जाटखेड़ी इलाके में गोल्डन सिटी रहवासी सोसायटी में रहती हैं। दो दिन पहले नगर निगम की टीम गोल्डन सिटी के बाहर सड़क पर बैठे आवारा मवेशी को पकड़ने गई।
इस दौरान पशुपालकों ने अमले के साथ विवाद किया। खबर तो मारपीट करने तक की है। घटना की शिकायत लोकल थाने में की गई है।
आवारा पशु नियंत्रण समिति गठित
सामान्य प्रशासन विभाग ने सड़कों पर बैठे आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिये आवारा पशु नियंत्रण समिति गठित की है। इसके अध्यक्ष गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव नियुक्त किये गए हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव सहित लोक निर्माण विभाग और पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य रहेंगे। वहीं नगरीय आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव को कमेटी में सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है।
पूर्व की सरकारों में भी हुए प्रयास
सड़कों पर आवारा पशु कोई नई समस्या नहीं है। रह रहकर ये मुद्दा प्रदेश में उठता रहा है। पूर्व की शिवराज सरकार हो या कमलनाथ सरकार…सभी ने इन्हें सड़कों से हटाने के लिये अपने अपने समय में प्रयास किए।
कमलनाथ सरकार के समय हर पंचायत में गौ शालाओं का निर्माण इसी दिशा में एक पहल थी। हालांकि सड़कों से पूरी तरह से ये आवारा मवेशी कभी हटे ही नहीं।
सरकार की है ये प्लानिंग
मध्य प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों में 500 से 1000 एकड़ भूमि पर गोवंश वन्य विहार (गोसदन) बनाने की प्रस्तावित योजना है। प्रत्येक गोसदन के निर्माण पर लगभग 15 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आएगा।
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री इस परियोजना के लिए पहले ही दो बार दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं। यह योजना अविभाजित मध्यप्रदेश में पहले लागू थी, लेकिन बाद में बंद कर दी गई थी। रायसेन और मंदसौर जिलों में इस योजना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।