Chhattisgarh Freedom Fighter: देश की आजादी में छत्तीसगढ़ की माटी के कई लाल का लहू और पसीना भी शामिल है। आज हमारा देश आजादी का पर्व स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।
78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम छत्तीसगढ़ की महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों (Chhattisgarh Freedom Fighter) के बारे में बता रहे हैं। इन्हीं स्वतंत्रता संग्रो सेनानियों (freedom fighter chhedilal) में सबसे बड़ा और प्रसिद्ध नाम बैरिस्टर छेदीलाल का भी आता है।
बैरिस्टर छेदीलाल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Freedom Fighter) के बिलासपुर जिले में जन्में थे। वह उनके जिले के पहले बैरिस्टर थे और उन्होंने विदेश में पढ़ाई कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आजादी के बाद भी लोगों की सेवा करते रहे, लोगों को कानूनी सलाह देते रहे।
वहीं आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन वे पीछे नहीं हटे और अपने लक्ष्य भारत देश को आजादी दिलाकर ही दम लिया। आज हम आपको बताते हैं, उनके जीवन से जुड़े किस्से-
छेदीलाल से छत्तीसगढ़ था प्रभावित
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल (Chhattisgarh Freedom Fighter) 1887 में जन्में थे, उनका जन्म अकलतरा (बिलासपुर) में हुआ था।
उन्होंने अपने गांव से प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे मिडिल स्कूल की पढ़ाई के लिए बिलासपुर चले गए। जहां बिलासपुर म्यूनिस्पल हाई स्कूल में दाखिला लिया और उन्होंने एजुकेशन के साथ ही अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
वह वचपन से ही राजनीति के क्षेत्र में रुचि रखते थे। उसी कालखंड में देश में राष्ट्रीय आंदोलन (freedom fighter chhedilal) चल रहे थे। इससे बिलासपुर समेत पूरा छत्तीसगढ़ भी प्रभावित था।
छात्रवृत्ति लेकर विदेश में की पढ़ाई
बैरिस्टर छेदीलाल ने 1901 में मिडिल स्कूल की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह हाई और हायर सेकंडरी स्कूल शिक्षा के लिए रायपुर पहुंचे। यहां से हायर एजुकेशन के लिए प्रयाग गए।
इस दौरान परीक्षा परिणाम (Chhattisgarh Freedom Fighter) में उनकी विशेष योग्यता के चलते छात्रवृत्ति मिलने लगी। इसी के चलते उन्होंने इंग्लैण्ड जाकर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University England) से अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और इतिहास विषय में बीए ऑनर्स की उपाधि ली। इसके बाद एमए इतिहास में किया और बैरिस्टर बनकर वह 1912 में भारत लौटे।
विदेश में पढ़ने वाले पहले विद्यार्थी
ठाकुर छेदीलाल बिलासपुर के पहले बैरिस्टर (freedom fighter chhedilal) और प्रदेश के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने विदेश में जाकर पढ़ाई (Chhattisgarh Freedom Fighter) की थी। इसके साथ ही उन्होंने देशवासियों के लिए विदेश यात्रा का मार्ग भी दिखाया था। इसके साथ ही युवाओं को पढ़ाई के जुनून को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
आंदोलन के दौरान कई बार अरेस्ट हुए
बैरिस्टर छेदीलाल (freedom fighter chhedilal) 25 फरवरी 1932 को सविनय अवज्ञा आंदोलन (Chhattisgarh Freedom Fighter) में अपनी सहभागिता की। इसी के साथ ही बिलासपुर में उन्होंने इस आंदोलन के समर्थन में धरना दिया।
इस दौरान पिकेटिंग के आरोप में छेदीलाल को अरेस्ट कर लिया। इसके बाद वे नागपुर, विदर्भ कांग्रेस के संयुक्त सम्मेलन में सभापति नियुक्त किए गए।
सम्मेलन को संबोधित करने के बाद उनके भाषण को लेकर उन्हें बंदी बना लिया गया और वकालत का लाइसेंस निरस्त कर दिया। 1940-41 में वे व्यक्तिगत सत्याग्रह के आरोप में अरेस्ट कर लिए गए।
उनके साथ ही अन्य नेताओं को भी अरेस्ट किया गया था। हालांकि क्रिप्स मिशन आगमन की परिस्थितियों के चलते सत्याग्रह करने वालों को मुक्ति दे दी गई, इसमें छेदीलाल भी शामिल थे।
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इन आंदोलन में बड़ी भूमिका रही
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन (Chhattisgarh Freedom Fighter) की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ में बढ़ावा बैरिस्टर छेदीलाल ने दिया।
इस पर उन्हें 9 अगस्त 1942 को बिलासपुर में तीन साल की जेल हो गई। इसके बाद वे 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान निर्मात्री सभा का गठन किए जाने को लेकर चुनाव हुए।
छेदीलाल (freedom fighter chhedilal) ने अनवरत संविधान निर्माण में सहयोग किया। 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली। स्वतंत्रता के बाद भी वह राष्ट्रीय सेवा कार्य में संलिप्त रहे। इसके बाद सितंबर 1956 में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, इस दौरान उनका निधन हो गया।