MP Govt Employees Salary: मध्य प्रदेश के नये नवेले कर्मचारी इन दिनों 100 फीसदी सैलरी को लेकर सोशल मीडिया पर खासे एक्टिव हैं। 11 अगस्त को तो इसका ये मुद्दा ट्रेंड तक किया। नवनियुक्त कर्मचारियों की मांग है कि 2018 में बनाये गए नियम में बदलाव करते हुए उन्हें उनके काम का पूरा वेतन मिले।
आइये आपको बताते हैं कि पुरानी पॉलिसी को बदलकर नई नीति बनाने के नियम क्या हैं और यदि नव नियुक्त कर्मचारियों की मांग मानी जाती हैं तो उसकी क्या प्रक्रिया होगी।
सबसे पहले विवादित नियम समझ लें
सबसे पहले वह विवादित नियम समझ लीजिए, जिसे लेकर नवनियुक्त कर्मचारियों में आक्रोश है। दरअसल 2018 तक प्रदेश में नवनियुक्त कर्मचारियों को ज्वाइनिंग के पहले दिन से ही पूरी सैलरी मिलती थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार ने इसमें बदलाव किया।
2019 के नये नियम के अनुसार अब नव नियुक्त कर्मचारी को अपनी ज्वाइनिंग के पहले साल सैलरी का 70%, दूसरे साल 80% और तीसरे साल 90% सैलरी ही मिलती है। यानी जिस सैलरी (MP Govt Employees Salary) पर कर्मचारी की नियुक्ति होती है, वह उसे पूरी चौथे साल में मिलती है।
कर्मचारी कर्मचारी में भी अंतर
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये दो एजेंसियां काम कर रही है। पहली मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी MPPSC और दूसरी कर्मचारी चयन मंडल (ESB) जिसे व्यापमं के नाम से भी जाना जाता है।
2019 में टुकड़ों टुकड़ों में मिलने वाली सैलरी का बनाया गया नया नियम सिर्फ ईएसबी के माध्यम से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों पर ही लागू है। एमपीपीएससी के माध्यम से भर्ती होने वाला कर्मचारी नियुक्ति के पहले दिन से पूरी सैलरी लेने की पात्रता रखता है।
मांग को लेकर अभी क्यों एक्टिव
दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले 2023 में तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये घोषणा कर दी थी कि वह इस नियम में बदलाव लाएंगे। नियुक्ति के पहले साल तो कर्मचारियों को 70% ही सैलरी मिलेगी, लेकिन दूसरे साल से उसे 100 फीसदी सैलरी मिलने लगेगी।
100 फीसदी सैलरी के लिये सोशल मीडिया पर एक्टिव नवनियुक्त कर्मचारी: पॉलिसी बदलने की होती है ये प्रक्रिया, ऐसा हो तो बने बात#मध्यप्रदेश_सौ_फीसदी_वेतन_दो #MPNews #MPGovtemployees #Govtemployees @MPYuvaShakti @NEYU4MP @CMMadhyaPradesh @jitupatwari @DrMohanYadav51 @UmangSinghar… pic.twitter.com/TIkifUgIjf
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) August 14, 2024
नव नियुक्त कर्मचारी उनकी इस घोषणा के अमल में लाने का इंतजार करते रहे। पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से कर्मचारी खामोश बैठे थे, लेकिन अब उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया है।
पॉलिसी चेंज होने से पहले इस कसौटी से गुजरेगी
1. GAD में होगा मंथन: किसी एक विभाग से जुड़ा न होकर ये ईएसबी के माध्यम से चयनित सभी कर्मचारियों का इश्यू है और इसलिए सामान्य प्रशासन विभाग यानी GAD ही इसे लेकर पॉलिसी बना सकता है। GAD सीएम मोहन यादव के पास ही है। इसलिए इसे लेकर सीएम मोहन और GAD के प्रमुख सचिव के बीच सबसे पहले मंथन होगा।
2. वित्त से ली जाएगी सलाह: जाहिर सी बात है यदि मुद्दा सैलरी का है तो वित्त का इसमें हस्तक्षेप होगा। यदि विभाग को लगता है कि नवनियुक्त कर्मचारियों की सैलरी की पॉलिसी में बदलाव की जरुरत है, तो इसके लिये वित्त विभाग से भी सलाह ली जाएगी। वित्त विभाग की अनुशंसा से सीएम और पीएस को अवगत कराया जाएगा।
3. विभाग बनाता है पॉलिसी: कहीं कोई गुंजाइश दिखी तो हरी झंडी मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग इसे लेकर पॉलिसी बनाएगा। जिसमें वित्त के अधिकारी भी शामिल रहेंगे, ताकि पॉलिसी बनाते समय सरकारी खजाने के संतुलन का भी ध्यान रखा जा सके।
4. कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव: पॉलिसी बन जाने के बाद इसका प्रस्ताव कैबिनेट के पास जाएगा। कैबिनेट से पास होने के बाद इसे प्रदेश में अमल में लाया जाएगा। कुल मिलाकर सरकार को लगता है कि पॉलिसी में कुछ बदलाव की जरुरत है, तब भी इन चार कसौटी से होकर पूरी प्रक्रिया को गुजरना होगी। किसी एक जगह भी दिक्कत हुई तो मामला वहीं खत्म हो जाता है।
वर्तमान पॉलिसी से कर्मचारियों को ये नुकसान
2019 में बनी पॉलिसी में कर्मचारियों को बेसिक सैलरी में तो नुकसान है ही, लेकिन महंगाई भत्ता भी इसी के आधार पर तय होता है।
पूरी सैलरी नहीं मिलने से महंगाई भत्ता भी कम मिल रहा है। जिससे नव नियुक्त कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ रही है।