Bangladesh Hindu Temple: इस समय बांग्लादेश में हिंसा, विरोध प्रदर्शन और कई तरह की सांप्रदायिक घटनाएं हो रहीं हैं। बांगलादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालात इतने ख़राब हैं कि शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।
इसी बीच कुछ बांग्लादेशी लोगों के द्वारा हिन्दूमंदिरों पर आक्रमण किया जा रहा है। भले ही ये मुस्लिम देश है लेकिन यहां पर लगभग 1500 हिन्दू मंदिर है. जो बांग्लादेश में हिन्दू संस्कृति और विविधताओं को दर्शाती है।
आज हम आपको बांग्लादेश के कुछ हिन्दू मंदिर के बारे में बताएंगे।
ढाकेश्वरी मंदिर (ढाका)
ढाकेश्वरी मंदिर ढाका में स्थित है और इसे बांग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर माना जाता है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बल्लाल सेन द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर का नाम ‘ढाका’ शहर से जुड़ा हुआ है, और इसे शहर के नाम का स्रोत माना जाता है।
यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और यहां पर हर साल दुर्गा पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इसके इतिहास में कई बार पुनर्निर्माण किया गया, और यह आज भी हिंदू समुदाय का एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है।
कांताजी मंदिर (दिनाजपुर)
कांताजी मंदिर, जिसे कांतनगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, दिनाजपुर जिले में स्थित है और यह 18वीं शताब्दी में महाराजा रामनाथ द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान कृष्ण के रूप कांतजीउ को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 1704 में शुरू हुआ और 1752 में पूरा हुआ।
यह मंदिर अपनी जटिल टेराकोटा नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें रामायण और महाभारत की कथाएं उकेरी गई हैं। इस मंदिर की स्थापत्य शैली बंगाल की विशेषता को दर्शाती है।
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ (सिलहट)
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ सिलहट में स्थित है और यह भगवान कृष्ण के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। मठ 16वीं शताब्दी में महान संत और समाज सुधारक श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन और शिक्षाओं से जुड़ा हुआ है।
श्री चैतन्य महाप्रभु भक्ति आंदोलन के प्रमुख प्रवर्तक थे, और इस मठ में उनकी शिक्षाओं के अनुसार भक्ति और कीर्तन का आयोजन होता है। मठ का वातावरण शांति और भक्ति से भरपूर है, जो भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
अधिनाथ मंदिर (महेशखाली)
अधिनाथ मंदिर बांग्लादेश के महेशखाली द्वीप पर स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर समुद्र के किनारे एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिससे यह एक विशेष रूप से सुंदर और पवित्र स्थल माना जाता है।
मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था और यह तब से लेकर अब तक हिंदू तीर्थयात्रियों का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु आते हैं।
रामना काली मंदिर (ढाका)
रामना काली मंदिर ढाका के रामना क्षेत्र में स्थित है और यह देवी काली को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था, और यह तब से कई बार पुनर्निर्माण और विस्तार के दौर से गुजर चुका है। 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था।
लेकिन बाद में इसे पुनर्निर्मित किया गया। मंदिर के परिसर में एक विशाल काली प्रतिमा स्थापित है, और यहां हर साल काली पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।
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