Patanjali Contempt Case: सुप्रीम कोर्ट से बाबा रामदेव को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना केस को बंद कर दिया है। साथ ही उनकी मांफी को मंजूर कर लिया है और कहा है कि आदेश नहीं माना तो सख्त सजा दी जाएगी।
यहां बता दें पतंजलि आयुर्वेद के द्वारा भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का केस चल रहा था।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) August 13, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव-बालकृष्ण को दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए कुछ भी करते हैं, जैसा कि पहले हुआ था, तो कोर्ट सख्त सजा देगा।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मंगलवार (13 अगस्त) को फैसला सुनाया। 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी की बदनामी का आरोप लगाया गया था।
इन पॉइंट में समझें पूरा मामला
- अवमानना का मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर 17 अगस्त 2022 को शुरू हुआ था। यह पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ थी। पतंजलि ने एलोपैथी को बेअसर बताते हुए कुछ बीमारियों के इलाज का दावा किया गया था।
- सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई और फटकार के बाद पतंजलि ने नवंबर 2023 में आश्वासन दिया था कि वह ऐसे विज्ञापनों को आगे प्रकाशित नहीं रहेगा।
- बावजूद इसके फरवरी 2024 में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन जारी रहने के बाद कोर्ट ने कंपनी और उसके एमडी को अवमानना नोटिस जारी किया।
- मार्च 2024 में अवमानना नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने पतंजलि के एमडी बालकृष्ण और बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
- अप्रैल 2024 में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में पेश हुए और एलोपैथिक दवाओं पर टिप्पणी करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था- क्यों ना अवमानना का केस चलाया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को कहा था- पतंजलि आयुर्वेद ने आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा,
विशेष रूप से उसके प्रोडक्ट्स के विज्ञापन या ब्रांडिंग के दौरान। साथ ही दवाओं के असर का दावा करने या किसी भी चिकित्सा पद्धति के खिलाफ कोई बयान मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा।
लेकिन, इसके बावजूद स्वामी रामदेव ने नवंबर 2023 में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने कोर्ट की पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कड़ी टिप्पणी पर बात की थी।
पतंजलि के आश्वासन के बाद मीडिया में बयान देने से सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया था। बाद में शोकॉज नोटिस देकर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए।
कोर्ट ने पतंजलि से न्यूज पेपर में माफी भी छपवाई।
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