Bhuteshwar Mahadev in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में कई शिव मंदिर हैं जो अपने आप में अनेकों रहस्य को समेटे हुए हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही अद्भुत और रहस्यमय शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि विश्व के एक मात्र स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग हैं।
अगर पूरे विश्व में सबसे अलग शिव मंदिर की बात होती है तो ये भूतेश्वरनाथ का नाम सबसे पहले स्थान पर आएगा। भूतेश्वर नाथ महादेव जागृत अवस्था में माने जाते हैं।
प्रचलित कथाओं की मानें तो साल दर साल यहां स्थापित शिवलिंग का आकार बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान समय में भूतेश्वरनाथ का आकार 80 फीट तक पहुंच गया है।
इसी कारण से इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देश के साथ विदेशी नागरिक भी गरियाबंद पहुंचते हैं। आइए हम आपको इस मंदिर की पूरी जानकारी देते हैं।
कहां स्थित हैं भूतेश्वरनाथ महादेव
छत्तीसगढ़ के भूतेश्वरनाथ महादेव एक रहस्यमय शिवलिंग है। महादेव के इस मंदिर की मान्यता ज्योतिर्लिंग की तरह ही रही है।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में मौजूद भूतेश्वर महादेव अर्धनारीश्वर प्राकृतिक शिवलिंग है, जो राजधानी रायपुर से 90 किमी. दूर, गरियाबंद जिला मुख्यालय से लगभग 4 किमी. दूर और महासमुंद से 80 किमी. दूर घने जंगलों में स्थित है।
हर साल बढ़ रहा शिवलिंग का आकार
इस मंदिर के बारे में कथाएं और यहां के लोग बताते हैं कि पहले भूतेश्वर महादेव एक छोटे टीले के रूप में थे। फिर धीरे-धीरे इनका आकार बढ़ता गया।
इसके साथ ही शिवलिंग का आकार बढ़ना अब भी जारी है। शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है जो धीरे धीरे जमींन के ऊपर आती दिखाई दे रही है। इसलिए इसे भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा।
भर्कुरा महादेव के नाम से भी हैं प्रचलित
भूतेश्वर नाथ महादेव को भकुर्रा महादेव के नाम से भी जाना जाता हैं। छत्तीसगढ़ की भाषा मे हुँकारना (आवाज़ देना) की ध्वनि को भकुर्रा कहा जाता हैं।
इसलिए भूतेश्वर महादेव को भकुर्रा महादेव के नाम से भी पुकारा जाता हैं। भूतेश्वर नाथ महादेव के पीछे भगवान शिव की प्रतिमा स्थित है, जिसमे भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक, नंदी जी के साथ विराजमान है।
इस शिवलिंग मे हल्की सी दरार भी है, इसलिए इसे अर्धनारीश्वर के रूप मे पूजा जाता हैं। इस शिवलिंग का बढ़ता हुआ आकार आज भी शोध का विषय है।
शिवरात्री के साथ सावन में लगती है भीड़
सावन मास मे यहाँ आपको विशेष रूप से भक्तो की भीड़ नज़र आती है। भक्तजन दूर- दूर से बाबा का चमत्कार देखने व दर्शन करने आते है।
कावड़ियों के लिए यहाँ विशेष रूप से व्यवस्था की गयी है, इसके साथ ही साथ शिवरात्रि मे यहाँ तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता हैं।
भूतेश्वर नाथ, पंच भूतो के स्वामी है और भक्तजन महाशिवरात्रि को यहाँ पहुँच कर अपने आप को काफी सौभाग्यशाली मानते हैं।
क्या है मंदिर का इतिहास
कथाएं ऐसा बताती हैं कि इस मंदिर की खोज लगभग सैकड़ों साल पहले हुई थी, जब चारों तरफ घने जंगल थे. इन घने जंगलों के बीच मौजूद एक छोटे से टीले से, आसपास के गांव वालों को बैल के हुंकारने की आवाज आती थी।
लेकिन जब ग्रामीण नजदीक जाते तो उन्हें कोई भी जानवर नहीं दिखता। धीरे धीरे ग्रामीणों की आस्था टीले के प्रति जागृत होती गई। सभी लोगों ने टीले को शिव का रूप मानकर पूज करना शुरू किया। आज वही छोटा सा टीला एक विशाल शिवलिंग का आकार ले चुका है।
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