हाइलाइट्स
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मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षक भर्ती
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आरक्षण नियमों की अनदेखी
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हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
MP Teacher Bharti: मध्यप्रदेश में प्राइमरी टीचर भर्ती में स्कूल शिक्षा विभाग ने आरक्षण नियमों की अनदेखी की। हाईकोर्ट ने 15 दिनों के अंदर DPI कमिश्नर से जवाब मांगा है।
इन नियमों की अनदेखी
हाईकोर्ट में दर्ज याचिकाओं में कहा गया है कि आरक्षित वर्ग से अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित करके उनकी ट्रायबल वेलफेयर विभाग द्वारा संचालित 20 जिलों की शालाओं में पदस्थापना की गई है। याचिकाकर्ताओं ने ट्राइबल विभाग के एक भी स्कूल में चॉइस नहीं भरी थी। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं से कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों को याचिकाकर्ताओं द्वारा चॉइस किए स्कूलों में मनमाने तरीके से पोस्टिंग दे दी गई है।
2500 से ज्यादा अभ्यर्थियों को किया नजरअंदाज
याचिका में कहा गया है कि DPI ने करीब 2500 से ज्यादा अधिक आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी चॉइस फिलिंग ऑप्शन को नजर अंदाज करके उनसे कम अंक वाले अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थापना दे दी है।
DPI कमिश्नर से मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को रेखांकित करते हुए अंतरिम आदेश जारी करके DPI कमिश्नर से जवाब मांगा। 15 दिनों के अंदर जवाब देना होगा।
पदों की कम संख्या और जॉइनिंग के लिए तरस रहे शिक्षक
मध्यप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक वर्ग-1 के उम्मीदवार पदों की कम संख्या से परेशान हैं। वहीं शिक्षक वर्ग-3 के शिक्षक ज्वाइनिंग के लिए तरस रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर ये भोपाल से दिल्ली तक हो आए हैं। अब अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर बुधवार 7 अगस्त को सभी जिला मुख्यालयों पर कलेक्टर को ज्ञापन दिया है।
अधिकारियों को बताई परेशानी
प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020 के कैंडिडेट्स ने भोपाल , मुरैना और इन्दौर के साथ-साथ विभिन्न जिलों में कलेक्टर को ज्ञापन दिया। मांग पत्र पढ़कर सुनाया और अपनी परेशानी अधिकारियों को बताई।
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कैंडिडेट्स की प्रमुख मांग
बिना किसी आदेश के रोके गए 882 ओबीसी कैंडिडेट्स की नियुक्ति का आदेश जारी किया जाए।
जिला चॉइस फिलिंग एवं डॉक्यूमेंटस वेरिफिकेशन करा चुके अभ्यार्थियों के नियुक्ति पत्र जारी किए जाए।
हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रयोगशाला के 1696 और 525 पदों पर प्रक्रिया की जाए।
फर्जी दिव्यांगों की जगह खाली पदों पर वास्तविक दिव्यांगों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाए।