हाइलाइट्स
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस
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प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग मंजूर
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मोहम्मद यूनुस शेख हसीना के धुर विरोधी
Mohammad Yunus: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस होंगे। राष्ट्रपति भवन एक मीटिंग में ये फैसला हुआ। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग मंजूर कर ली गई। मीटिंग में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेताओं के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद रहे।
गरीबों के बैंकर मोहम्मद यूनुस
मोहम्मद यूनुस गरीबों के बैंकर के रूप में मशहूर हुए। वे अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में प्रदर्शनकारी छात्रों की पहली पसंद थे।
शेख हसीना के धुर विरोधी मोहम्मद यूनुस
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के धुर विरोधी हैं। शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के पीछे एक प्रमुख कारण मोहम्मद यूनुस भी माने जा रहे हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस
गरीबों के बैंकर के नाम से मशहूर यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। उन्होंने गांव के गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से उबारने में मदद की थी। इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिलती थी।
शेख हसीना और यूनुस का टकराव
84 साल के यूनुस जैसे-जैसे सफल हुए तो उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया। उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की, लेकिन जब उनकी इस इच्छा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं। हसीना ने यूनुस पर पर गरीबों का खून चूसने का बड़ा आरोप लगाया था।
यूनुस को हुई थी 6 महीने की सजा
इसी साल जनवरी में मोहम्मद यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के मामले में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। जून में बांग्लादेश की एक अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर उनके द्वारा बनाई गई एक दूरसंचार कंपनी में वहां काम करने वाले लोगों के कल्याण कोष से 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन के आरोप में केस चलाया गया था। हालांकि वे इस मामले में जेल नहीं गए थे।
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चटगांव यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे यूनुस
बांग्लादेश में जब 1974 में अकाल पड़ा था, तब यूनुस चटगांव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे। इस अकाल में हजारों लोगों की जान गई थी। इस दौरान उन्हें एक ऐसी महिला मिली जिसने एक साहूकार से कर्ज लिया था। ये कर्ज एक डॉलर से भी कम था, लेकिन बदले में साहूकार को ये अधिकार मिल गया था कि वो महिला द्वारा उपजाई गई किसी भी चीज को अपने द्वारा तय की गई कीमत पर खरीद सकता है।
नोबेल पुरस्कार लेते वक्त यूनुस ने कहा कि मेरे लिए ये गुलाम मजदूरों को भर्ती करने का एक तरीका था। उन्होंने 42 ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्होंने साहूकार से 27 डॉलर उधार लिए थे और उन्हें खुद के पैसे उधार दिए। यूनुस ने कहा था कि गरीबों ने हर बार समय पर ब्याज चुकाया।