Tigger In Bhopal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आए दिन शहर के नजदीक बाघ का मूवमेंट देखा जा रहा है. एक हफ्ते में चौथी बार बाघ भोपाल में घूमते नजर आया है. चंदनपुरा, कलियासाेत और केरवा तक बाघों का मूवमेंट हो रहा है. हाल ही में वयस्क हुए नर बाघ अब मां से अलग टेरेटरी की खोज रहे हैं. इसलिए वे जंगल में घूम रहे हैं. साेमवार काे ही एक नर बाघ चैनलिंक फेंसिंग तोड़कर सड़क किनारे आ गया था. इसका किसी रास्ते से गुजरने वाले युवक ने वीडियो बना लिया था. इसी इलाके में दो दिन पहले भी एक बाघ नजर आया था.
6 बाघ क्षेत्र में एक्टिव
कोलार, केरवा और कलियासोत क्षेत्र में 6 व्यस्क बाघ इलाके में घूम रहे हैं. इसी के चलते यहां पेट्रोलिंग की जा रही है. इसके बाद मैदानी अमले ने पाया कि बाघ जहां से चैनलिंक तोड़कर सड़क पर आया था, वहीं से वापस चला गया। इसके बाद कर्मचारियों ने आनन-फानन में चैनलिंक फेंसिंग दुरुस्त कर दी. पेट्रोलिंग टीम द्वारा सड़क पर सावधानी से चलने और जंगल के अंदर नहीं जाने की मुनादी कराई जा रही है.
शुक्रवार रात डैम के 11 शटर के पास देखा बाघ
बाघ मित्र राशिद नूर ने कहा कि कलियासोत डैम के 11 शटर के पास टाइगर को देखा गया है. देर रात सड़क पार करते समय यहां से गुजर रहे एक युवक ने कार में बैठकर वीडियो बनाया है. इस इलाके में कई बाघों की एक्टिविटी है. 2 दिन में बाघ का यहां तीसरी बार मूवमेंट देखा गया है.
मदरबुल फार्म और बैरागढ़ चिच्ली के पास भी दिखा था बाघ
भोपाल में दो जगह और टाइगर का मूवमेंट देखा गया है. बीते 2 दिन में केरवा रोड स्थित मदरबुल फार्म के पास टाइगर ने एक गाय को शिकार बनया था. वहीं बैरागढ़ चिचली में गाय पर हमला किया था. मदरबुल फार्म फारेस्ट एरिया के पास है. आसपास के इलाकों में टाइगर का मूवमेंट हमेशा रहता है. ऐसे में वे फार्म में भी आ जाते हैं.
इधर बुधनी से रेस्क्यू करके लाए गए बाघ के शावकों का भोपाल में इलाज चल रहा था. इसी दौरान आज एक शावक की मौत हो गई. वहीं दूसरे शावका इलाज चल रहा है. बता दें भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में बुधनी से रेस्क्यू कर लाए गए टाइगर के 2 मादा शावकों में से एक की आज मौत हो गई. वहीं दूसरा गंभीर रूप से घायल है. शावकों की रीड़ की हड्डी और पेल्विक गर्डल पर मल्टीपल फैक्चर था.
बुधनी से 15 जुलाई को किया था रेस्क्यू
15 जुलाई को बुधनी के मिडघाट रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक नर शावक की मौत हुई थी. वहीं, दो मादा शावक घायल हुए थे. टीम इलाज की तैयारी कर रही थी, तभी देर शाम एक बाघिन आ गई थी। इसके बाद डॉक्टर और वन विभाग की टीम को भागना पड़ा था. बाघिन रातभर शावकों के पास बैठी रही. इसके चलते 16 जुलाई को रेस्क्यू किया गया. मिडघाट से दोनों शावकों को पहली बार ट्रेन से रेस्क्यू कर भोपाल तक लाया गया था। तभी से वन विहार में इलाज चल रहा था.