Raipur CG News: रायपुर में नगर निगम के वार्डों के नए परिसीमन को लेकर कांग्रेस पार्षद कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. कांग्रेस पार्षद दल की बैठक में इसको लेकर फैसला लिया गया है. निगम अध्यक्ष प्रमोद दुबे ने परिसीमन प्रायोजित होने का आरोप लगाया.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस के 36 पार्षदों के वार्डों को टारगेट कर परिसीमन किया गया है. कुछ नेताओं ने स्वार्थवश परिसीमन कराया है. परिसीमन लोगों के गले नहीं उतर रहा है.
सरकार की कमी उजागर करती है ये परिसीमन: दुबे
प्रमोद दुबे ने कहा कि कांग्रेस का तीन बार नगरीय निकाय में कब्जा रहा है. ये परिसीमन सरकार की कमी उजागर करती है. अभी नए राशन कार्ड बने, अब फिर एड्रेस चेंज करने सरकार नए राशन कार्ड बनाएगी. 2025 में नई जनगणना की रिपोर्ट आएगी, तो क्या नया परिसीमन किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने नगर निगम को दो महीने तक कोई काम नहीं करने दिया.
पूरे वार्डों को तितर-बितर कर दिया गया: महापौर
इधर महापौर एजाज़ ढेबर ने इसको लेकर मीडिया (Raipur CG News) से कहा कि पूरे वार्डों को तितर-बितर कर दिया गया है. जिस वार्ड को कांग्रेस जीतते आई, उन्हें विलोपित कर दिया गया. परिसीमन राजनीति से प्रेरित होकर किया गया है. जिन वार्डों में कांग्रेस के जीतने की संभावना है, उनको तोड़ने का प्रयास किया गया है. हम परिसीमन का विरोध करते हैं.
बिलासपुर हाईकोर्ट ने यहां होने वाले परिसीमन पर लगाई रोक
बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव नगर निगम, बेमेतरा, कुम्हारी और तखतपुर नगर पालिका में होने वाले परिसीमन पर रोक लगा दी है. कोर्ट में परिसीमन के खिलाफ लगी 3 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. जिसके बाद जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने स्थगन का आदेश दिया है.
कोर्ट (Bilaspur High Court) ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2011 की जनगणना के आधार पर सरकार अभी परिसीमन क्यों कर रही है. इधर कानून के जानकारों का कहना है कि अब दूसरे नगरीय निकायों में भी परिसीमन को चुनौती दी जा सकती है.
तीनों याचिकाओं पर एक साथ चल रही सुनवाई
बता दें कि राजनांदगांव नगर निगम, बेमेतरा नगर पालिका और कुम्हारी नगर पालिका में वार्डों के परिसीमन को चुनौती दी गई है. तीनों याचिकाओं पर हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई चल रही है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है, उसमें साल 2011 की जनगणना को आधार माना है.
अपने सर्कुलर में भी परिसीमन के लिए राज्य सरकार ने अंतिम जनगणना को आधार माना है. वकीलों का कहना था कि सरकार ने इसके पहले साल 2014 और 2019 में भी साल 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का काम किया है. कहा कि जब आधार एक ही है तो इस बार परिसीमन का काम क्यों किया जा रहा है.
कोर्ट ने सरकारी वकीलों के जवाब पर जताई असहमति
कोर्ट (Bilaspur High Court) में सरकारी वकीलों ने जवाब में कहा कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है. परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र और नक्शा बदल जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने इस पर असहमति जताई. कोर्ट ने पूछा कि साल 2011 की जनगणना को वर्तमान परिदृश्य में आदर्श कैसे मानेंगे. जब दो बार परिसीमन किया गया है तो तीसरी बार क्यों किया जा रहा है. कोर्ट ने आपत्तियों के निराकरण और अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी है.
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ महाधिवक्ता और पूर्व एजी सतीशचंद्र वर्मा, अमृतो दास, राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दास और विनय पांडेय, नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की.
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