हाइलाइट्स
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2014 से अटका पुल का निर्माण
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हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
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10 साल से सरकार केवल आश्वासन दे रही
MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार के काम करने के स्लो प्रोसेस के चलते नोटिस जारी किया है. मामला दो राज्यों को जोड़ने वाले पुल निर्माण से जुड़ा हुआ है. इस पुल का निर्माण बीते 10 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. सरकार 10 साल से आश्वासन देते आ रही है और पुल का निर्माण पूरा नहीं हुआ. ग्वालियर हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी करते हुए मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार को नोटिस देकर 4 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.
झूठे दावे पेश कर रही एमपी सरकार
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पिनाहट और अटेर पर चंबल पुलों का निर्माण कराने को लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सन् 2014 से मध्य प्रदेश शासन द्वारा लगातार आश्वासन दिए जा रहे थे. 10 साल बाद भी आज तक पुलों का निर्माण नहीं हुआ. इसी को लेकर जनहित याचिका लगाई गई.
इन इन अधिकारियों को भेजा नोटिस
हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद लोक निर्माण विभाग मध्य प्रदेश शासन के सचिव, लोक निर्माण विभाग भोपाल के मुख्य इंजीनियर सहित पीडब्ल्यूडी पुल निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. इसके अलावा हाई कोर्ट ने शासन को पुलों के निर्माण के संबंध में स्टेट्स रिपोर्ट भी पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए सरकार को 4 हफ्तों का समय दिया है.
2014 में लगाई गई थी याचिका
मामले में 2014 में हाई कोर्ट के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने याचिका लगाई थी. जिसमें मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए मुरैना जिले के उसैथ घाट पिनाहट और भिंड जिले के अटेर घाट पर चंबल नदी पर पुल निर्माण न होने से होने वाली समस्या और आवागमन हेतु सड़क मार्ग उपलब्ध न होने की बात कही थी. तब से सरकार केवल आश्वासन दे रही थी. शासन ने कई बार जवाब में कहा कि अटेर-जैतपुर के बीच चंबल पुल के निर्माण के संबंध में एग्रीमेंट हो चुका है.
28 महीने में निर्माण काम का था लक्ष्य
28 महीने में एग्रीमेंट के अनुसार सरकार ने पुलों के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य रखा था. 15 जून 2019 तक उक्त पुल का निर्माण पूर्ण करना था. 29 दिसंबर 2016 को एग्रीमेंट कर लिया गया थआ. उक्त एग्रीमेंट के अनुसार कंपनी को पिनाहट पुल का निर्माण 28 महीने में करना था.
जब पुल का निर्माण नहीं हुआ तो दोबारा इसी मामले में तीन दिसंबर 2020 को हाई कोर्ट में एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने एक जनहित याचिका दायर की. इसमें सरकार ने फिर दो से तीन साल में निर्माण काम पूरा करने की बात कही. अब जब 2024 तक भी पुल का निर्माण नहीं हुआ तो याचिकाकर्ता ने फिर एक बार न्यायालय में इस मामले को उठाया. जिस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने शासन के अधिकारियों को जवाब तलब किया है और चार सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किए हैं.