Radium Strip Case: एमपी के मैहर में एसपी द्वारा दिए गए एक आदेश पर विवाद हो गया. मामला सीएम मोहन यादव तक पहुंचा. आखिरकार एसपी साहब ने आदेश को निरस्त कर दिया.
एसपी पर इस आदेश के साथ बड़ी डील का आरोप भी लगा. मैहर एसपी ने 2 जुलाई को धीरेंद्र सिंह राजावत के पक्ष में रेडियम रिफ्लेक्टर, रेडियम टेप लाइन और हेड लाइट ब्लैक करने की शर्तों के अनुसार अनुमति दी थी. पुलिस चेकिंग के दौरान ही यह काम किया जा सकता था और यातायात बाधित नहीं होने की शर्त भी शामिल थी. जांच और रिफ्लेक्टर लगाने के नाम पर हर वाहन से 5 सौ से 1 हजार रुपए तक की वसूली की जा रही थी.
एसपी ने निरस्त किया आदेश
नेशनल हाईवे 30 पर वाहनों में रेडियम पट्टी लगवाने का दबाव बनाकर अवैध वसूली करने के मामले सामने आने लगे. तो यह मामला सीएम मोहन यादव तक पहुंच गया. आखिरकार मैहर एसपी मैहर ने अनुमति का आदेश निरस्त कर दिया. रेडियम पट्टी लगाने के लिए जिस फर्म को काम मिला था, उसने पुलिस चेकिंग के बिना ही वाहनों को रोककर पट्टी लगाने का खेल शुरू कर दिया था. वे लोग वाहन चालकों से वसूली भी कर रहे थे.
यहां की जा रही थी अवैध वसूली
कटनी-बेला नेशनल हाईवे से निकलने वाले वाहनों को मैहर जिले के नादन देहात थाने के पास रोककर अवैध वसूली की हो रही थी. नेशनल हाईवे पर ड्रम रखकर जिग्जैक पॉइंट बनाया गया और वाहन चेकिंग का काम शुरू कर दिया. इसके बाद वाहन में रोककर उनमें रेडियम रिफ्लेक्टर और उनके पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की जांच की जा रही थी. इसमें कमी बताकर प्रत्येक वाहन से 500 से 1000 रुपए वसूले जाने लगे.लेकिन, हैरानी की बात तो ये है कि उनका सहयोग पुलिस भी कर रही थी.
मामला सीएम तक पहुंचा
मैहर एसपी के आदेश का अनुमति की आड़ में हाइवे पर वाहनों से अवैध वसूली का मामला सीएम तक पहुंच गया. पीएचक्यू से भी जानकारी मांगी गई है और जांच की गई कि यह विवादित आदेश कैसे जारी हुआ जिसके बाद आदेश को निरस्त कर दिया गया. सूत्रों का कहना है इस आदेश जारी होने के पीछे की वजह बड़ी एक बड़ी डील है. बता दें इस तरह का एक आदेश सिंगरौली में भी जारी हुआ था. जिसे वहां के एसपी ने अब बदल दिया.