हाइलाइट्स
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सरकार का उद्देश्य डिमांड को बढ़ावा देना
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सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ा रही
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वेतनभोगी वर्ग के लिए कोई प्रमुख बदलाव नहीं
Budget 2024 Explained: बंसल न्यूज डिजिटल ने अपने पाठकों को बजट आसान भाषा में समझने के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान यानी IIM इंदौर के स्ट्रेटजी मैनेजमेंट के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत साल्वान से बात की।
डॉ. प्रशांत साल्वान ने बताया कि भारत में कुशल मानव संसाधनों की कमी एक गंभीर मुद्दा है। बजट में रोजगार सृजन के लिए 2 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस धन का उपयोग प्रशिक्षण संस्थानों के उन्नयन, इंटर्नशिप भत्ते और संबंधित गतिविधियों में किया जाएगा।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) July 23, 2024
इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण को सीएसआर के तहत शामिल किया गया है, जिससे कंपनियां अब अपने सीएसआर फंड का उपयोग कुशल मानव संसाधन विकास के लिए कर सकेंगी, जो पूर्व में संभव नहीं था।
एचडीआई रिपोर्ट का चुनौती की ओर ईशारा
एचडीआई रिपोर्ट के अनुसार केवल 20% भारतीय कामकाजी जनसंख्या ही कुशल है और भारत 169 देशों में 129वें स्थान पर है।
42% श्रमिक अभी भी कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। यह स्थिति भारत के 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य के लिए एक प्रमुख चुनौती है।
गांवों में ही रोजगार पर होगा फोकस
डॉ. प्रशांत साल्वान ने कहा कि कोविड-19 के दौरान श्रमिकों की एक प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों की ओर लौटने की देखी गई।
ग्रामीण युवाओं के लिए आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि वे शहरों में काम के लिए न जाएं, बल्कि अपने गांवों में ही रोजगार संबंधी गतिविधियां कर सकें।
ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी गई है।
बजट की पांच प्रमुख बातें
1. सरकार का उद्देश्य डिमांड को बढ़ावा देना है। ई-कॉमर्स पर टीडीएस में कमी और कुछ उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में कटौती इस दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
2. निवेश आकर्षित करने के लिए, सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ा रही है, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश कर रही है, और एंजल टैक्स को समाप्त करने जैसी नीतिगत सुधार कर रही है।
3. एमएसएमई में निवेश और कौशल विकास, इंटर्नशिप, और रोजगार से संबंधित प्रोत्साहनों के माध्यम से रोजगार में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
4. वेतनभोगी वर्ग के लिए कोई प्रमुख बदलाव नहीं है। टैक्स स्लैब यथावत है, लेकिन 15 लाख रुपये या उससे अधिक की आय पर लगभग 17,000 रुपये की बचत की जा सकती है।
5. राजकोषीय घाटा एक प्रमुख समस्या है। वित्त मंत्री के अनुसार, यह जीडीपी का 4.9% होगा, जबकि अनुमान है कि यह जीडीपी का 5.3% होगा।
तीन सालों में इन नीतियों का दिखेगा परिणाम
डॉ. प्रशांत साल्वान ने कहा कि इन नीतियों के परिणाम दो से तीन वर्षों में दिखने की संभावना है।
सरकार को इन पहलों की निगरानी के लिए उन्नत वितरण-संबंधित संकेतकों (DLIs) का विकास करना होगा और सख्त वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा।
बजट ने म्यूचुअल फंड या इक्विटी निवेशकों के लिए विशेष आकर्षण नहीं प्रस्तुत किया, लेकिन परियोजनाओं की वृद्धि से पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि को संतुलित किया जा सकता है।
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