हाइलाइट्स
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उत्तर प्रदेश पुलिस का आदेश
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कांवड़ मार्ग पर दुकानदार लिखें नाम
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दुकान और ठेले पर नाम जरूरी
UP News: उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अजीब फरमान से विवाद हो रहा है। ये फरमान कांवड़ मार्ग के दुकानदारों के लिए है। अगर कांवड़ मार्ग पर कोई दुकानदार या ठेले वाला है तो उसे अपनी दुकान या ठेले पर नाम लिखना होगा। 15 जुलाई को जारी हुए इस आदेश पर अब राजनीति और विवाद शुरू हो गया है।
औवेसी और अखिलेश ने उठाए सवाल
मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश की तुलना ओवैसी ने हिटलर से की है। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा ? कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं। इसका जवाब देते हुए SSP ने कहा कि ये परंपरा रही है और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया गया है।
TMC सांसद ने क्या कहा ?
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में केस दर्ज कराया। उनका मानना है कि ये आदेश भेदभाव करने वाला है। इसके साथ ही उन्होंने मुजफ्फरनगर के SSP के तर्क को मूर्खतापूर्ण बताया है।
मुजफ्फरनगर पुलिस ने क्यों दिया आदेश
बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि कांवड़ मार्ग के मुस्लिम होटल संचालक अपना नाम नहीं लिखेंगे तो वे आंदोलन शुरू कर देंगे।
उनका आरोप था कि मुस्लिमों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल खोले हैं। इससे कांवड़ यात्री भ्रमित होते हैं। पुलिस की जांच में ऐसे 8 होटल मिले थे जिनके नाम हिंदू देवी-देवताओं पर रखे थे। उनके मालिक मुस्लिम थे।
SSP ने की थी अपील
मुजफ्फरनगर के SSP अभिषेक सिंह ने दुकानदारों से अपील की थी कि वे होटल का नाम बदल लें। इसके साथ ही वहां काम करने वालों के नाम भी बोर्ड पर लिखवा दें। SSP का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखनी होती है। ऐसे में किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा न हो, इसलिए होटल संचालकों से उनके नाम की पट्टिका लगवाई गई। कांवड़िए खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िए भ्रमित हो जाते हैं। इसके चलते कानून व्यवस्था बिगड़ने के हालात बन जाते हैं।
‘हमारा इरादा भावनाएं आहत करने का नहीं’
SSP का कहना है कि कानून व्यवस्था बिगड़ने से रोकने के लिए होटल मालिकों और अन्य दुकानदारों से अनुरोध किया कि स्वेच्छा से दुकान पर अपना और वहां काम करने वालों का नाम लिखवा दें। हमारा इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं है।
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अलग-अलग जिलों में जाते हैं कांवड़िए
हर साल मुजफ्फनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग-अलग जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। वहीं ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं।