Chandipura Virus: भारत में इस समय चार राज्यों में खतरनाक वायरस ने एंट्री लेली है. इस वायरस ने कुछ ही दिनों में इन राज्यों में पांव पसार लिए हैं. इस वायरस से संक्रमित होने वाले ज्यादातर मरीज बच्चे हैं. बता दें इस वायरस का नाम चांदीपुर है. केंद्रीय स्वस्थ मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी पुणे को अलर्ट पर रखा गया है.
जानकारी के मुताबिक इस वायरस की चपेट में आने वाले 100 में से 70 बच्चों की मौत हो चुकी है. गुजरात के साबरकांठा जिले में लगभग तीन संक्रमित बच्चे थे लेकिन इनमें से एक बच्ची की मौत हो गयी है. यह राज्य में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से पहली मौत है.
आज हम जानेंगे कि क्या है चांदीपुरा वायरस और कैसे आप अपने बच्चों को इस वायरस से संक्रम्मित होने से बचा सकते हैं.
क्या है चांदीपुरा वायरस
इस चांदीपुरा वायरस के 29 केसों में से लगभग 26 केस सिर्फ गुजरात से आए है. जिसमें 2 राजस्थान और एक मध्य प्रदेश से आया है. बात करें इस वायरस से मौतों की तो अभी तक 15 में से 13 मौतें गुजरात में, 2 राजस्थान में और 1 मध्यप्रदेश में हुई है.
इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में हुई थी. ऐसे में इस वायरस को चांदीपुरा नाम से जाना जाने लगा. यह वायरस एक तरह का बुखार होता है. इसमें मरीज के अनादर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
इतना ही नहीं बुखार के साथ-साथ मरीज को तेज इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) हो जाती है. यह चांदीपुरा वायरस (CHPV) रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है. यह वायरस मच्छरों, बालू मक्खी जैसे कीटणु से फैलता है. इस वायरस से पहले भी 2003-2004 में आंध्रप्रदेश और गुजरात में लगभग 56-75 प्रतिशत मृत्यु हुई थी.
क्या है चांदीपुरा वायरस के लक्षण
यह चांदीपुरा वायरस (CHPV) रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है. ये वायरस ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ज्यादा संक्रमित करता है. इतना ही नहीं इसका खतरा ज्यादातर बच्चों को होता है. इस वायरस से संक्रमित होने की शुरुआत में इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण उत्पन्न करता है.
इसमें मच्छरों, टिक्स और कुछ प्रकार की मक्खियों के काटने से इसका संक्रमण फैलता है। इस वायरस के संक्रमण की गंभीर स्थिति में अक्यूट इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) होती है. समय पर इलाज न मिलने पर रोगी की मौत का खतरा रहता है. इससे 9 महीने से 14 साल के बच्चे ज्यादा संक्रमित होते हैं.
इस वायरस से संक्रमित होने पर बच्चों को साधारण लक्षण भी हो सकते हैं. जैसे सिर दर्द, डायरिया, बच्चों को कई बार दौरे भी पड़ सकते हैं. क्योंकि यह वायरस ब्रेन पर बहुत जल्दी असर करता है. कई बार हालत बिगड़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता हैं. इसलिए इस मौसम में इस तरह के लक्षण आने पर उसे हल्के में ना लें.
कैसे करें बचाव
डॉक्टरों के मुताबिक इस वायरस में संक्रमित होने पर सही इलाज न मिलने के बाद बहुत कम समय 24 से 48 घंटे मृत्यु हो सकती है. इस वायरस से बचने के लिए सबसे जरुरी है अपने बच्चों की हाइजीन का ख़ास ध्यान रखें. इस मौसम में बच्चन को फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहने ताकि वे मच्छरों से बचे रहें.
अगर आपके बच्चें में इसके लक्षण दिखें तो तुरंत उनका इलाज करवाएं. क्योंकि इसमें कोई एंटी वायरस थेरेपी नहीं होती है. अगर मरीज जल्दी अस्पताल पहुंच जाएं तो इलाज सही वक्त पर हो जाएगा.