हाइलाइट्स
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भारत आया शिवाजी का बाघनख
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सतारा म्यूजियम में रखा जाएगा बाघनख
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शिवाजी ने बाघनख से अफजल को मारा था
Chhatrapati Shivaji Baghnakh: 1659 में जिस बाघनख से छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की छाती चीर दी थी, वो अब भारत आ चुका है। ब्रिटेन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम से बाघनख मुंबई लाया गया है। 19 जुलाई से अगले 7 महीने तक इसे सतारा के छत्रपति शिवाजी म्यूजियम में रखा जाएगा।
शिवाजी ने बाघनख से अफजल को मारा
बाघनख के बारे में कहा जाता है कि इसी से वीर शिवाजी ने 1659 की लड़ाई में अफजल खान को ढेर कर दिया था। वे इसे अपने हाथ में छुपाए हुए थे। इसी से वार करके उन्होंने अफजल खान की आंतें निकाल दी थीं।
विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम में बाघनख से जुड़ी ये बातें लिखीं
विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम के बोर्ड में लिखा है कि शिवाजी का बाघनख जिसके साथ उन्होंने मुगल सेना के जनरल को मार डाला। इसे ईडन के जेम्स ग्रांट-डफ को तब दिया गया था, जब वह मराठों के पेशवा के प्रधानमंत्री के तहत सातारा में रहते थे।
मराठों के अंतिम पेशवा (प्रधानमंत्री) बाजी राव द्वितीय ने तीसरे अंग्रेज-मराठा युद्ध में हार के बाद जून 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें कानपुर के पास बिठूर में भेज दिया गया।
संभव है कि उन्होंने यह हथियार ग्रांट डफ को सौंप दिया हो। यह सत्यापित करना संभव नहीं है कि ये बाघ के पंजे वही हैं जिनका इस्तेमाल शिवाजी ने लगभग 160 साल पहले किया था।
महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री ने क्या कहा था ?
16 जुलाई को महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा था कि बाघनख को महाराष्ट्र लाया जाना एक प्रेरणादायक क्षण है। नख का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। इसे कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया है और बुलेटप्रूफ कवर में रखा गया है। आपको बता दें कि देसाई सतारा के संरक्षक मंत्री भी हैं। उन्होंने छत्रपति शिवाजी म्यूजियम का दौरा किया था।
3 साल बाद लौटाना होगा बाघनख
शंभुराज देसाई ने बताया कि पहले लंदन के म्यूजियम ने एक साल के लिए बाघनख को भारत भेजने पर सहमति जताई थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने बाघनख को 3 साल के लिए उन्हें सौंपने के लिए राजी कर लिया। इसे सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार के सफल प्रयासों की वजह से महाराष्ट्र लाया गया है।
संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने विधानसभा में क्या कहा था ?
संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पिछले हफ्ते महाराष्ट्र विधानसभा में कहा था कि बाघनख का प्रयोग छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किया जाता था। उनकी टिप्पणी एक इतिहासकार के दावे पर थी, जिसमें कहा गया था कि छत्रपति शिवाजी ने सन् 1659 में बीजापुर के सेनापति अफजल खान को बाघनख से मारा था। ये पहले से ही सतारा में था।
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बाघनख को भारत लाने में खर्च नहीं हुए करोड़ों
मंत्री मुनगंटीवार ने इस बात को खारिज किया कि बाघनख को लंदन से महाराष्ट्र लाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि बाघनख के कॉन्ट्रैक्ट और इसे भारत लाने में 14 लाख 8 हजार रुपए खर्च हुए हैं।