हाइलाइट्स
-
चार हार्डकोर नक्सलियों ने किया सरेंडर
-
डिप्टी कमांडर पर था 8 लाख का इनाम
-
पुनर्वास नीति से मिलेगा सभी को लाभ
Sukma Four Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों के खात्मे के लिए अभियान चला रही है। इसके साथ ही पुलिस बल के द्वारा भी लोन वर्राटू अभियान चलाया जा रहा है।
इसी अभियान के तहत नक्सलियों का आत्मसमर्पण (Sukma Four Naxalite Surrender) कराया जा रहा है। इसी अभियान के तहत प्रदेश में अब तक करीब 400 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर कर नए जीवन की शुरुआत की है।
नक्सल विरोध अभियान और लोन वर्राटू अभियान के तहत सुरक्षा बल को बड़ी सफलता मिली है। सुकमा में 20 लाख के चार इनामी नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इन नक्सलियों में दो महिलाएं भी शामिल हैं।
चारों नक्सलियों पर था इनाम
सुकमा में सुरक्षा बल को बड़ी सफलता मिली है। यहां 20 लाख के चार नक्सलियों ने सरेंडर (Sukma Four Naxalite Surrender) किया है। इसमें 2 महिला नक्सली भी शामिल हैं।
सभी नक्सलियों पर इनाम घोषित था। 8 लाख का 1नक्सली, 5-5 लाख के 2 नक्सली और 2 लाख का एक नक्सली ने सरेंडर किया है। इनामी 4 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
कंपनी का डिप्टी कमांडर था देवा
पुलिस ने बताया कि सरेंडर (Sukma Four Naxalite Surrender) करने वाले 8 लाख के इनामी प्रमुख नक्सली कैलाश उर्फ कवासी देवा नक्सल संगठन कंपनी नंबर 10 में डिप्टी कमांडर था। सुकमा एसपी किरण चव्हाण के समक्ष इन नक्सलियों ने सरेंडर किया है। यह नक्सली जिले में कई बड़ी वारदातों में शामिल रहे।
पुनर्वास नीति से प्रेरित
सुरक्षाबलों के लगातार दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति के कारण नक्सली सरेंडर (Sukma Four Naxalite Surrender) के लिए प्रेरित हो रहे हैं। एसपी किरण चव्हाण ने सभी नक्सलियों का पुनर्वास जीवन के लिए स्वागत किया। वहीं सरकार की पुनर्वास योजनाओं का लाभ भी इन्हें दिया जाएगा।
ये खबर भी पढ़ें: Chhattisgarh Teacher Bharti Update: आत्मानंद स्कूल टीचर भर्ती के लिए बढ़ाए पद, यूजी-पीजी के नंबरों से बनेगी मेरिट
हिंसक विचारधार से पाना चाहते थे छुटकारा
सरेंडर (Sukma Four Naxalite Surrender) करने के लिए आए नक्सलियों ने अपने अनुभव भी झासा किए। इस दौरान उन्होंने नक्सल संगठन की कई बातें और अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि नक्सल संगठन की हिंसक विचारधारा से वे परेशान थे।
इससे वे काफी समय से छुटकारा पाना चाहते थे और समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने बड़ा निर्णय लिया और सरेंडर कर नए जीवन की शुरुआत की।