हाइलाइट्स
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अच्छी पैदावार के लिए 7 स्टेप्स का करें इस्तेमाल
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धान रोपाई की पद्धति में बदलाव करें किसान
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रोपाई के समय कुछ सावधानी बरतना जरूरी
Chhattisgarh News: धान का कटोरा हमारा छत्तीसगढ़ इस फसल की पैदावार के लिए अलग पहचान रखता है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मात्रा में धान की बुवाई होती है। किसान अपने खेत में खरीफ सीजन की धान की रोपाई कर रहे हैं।
इसी धान से की बंपर पैदावार कर धनवान, अमीर बनने के लिए किसान हर साल प्रयास करते हैं, लेकिन कुछ न कुछ लगती या परंपरागत खेती के कारण वह अपने लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं।
यदि किसान अपनी परंपरागत खेती में थोड़ा सा बदलाव करें तो बंपर पैदावार (Chhattisgarh News) कर सकते हैं। इसके लिए आपको वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई सात तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। इससे धान की बंपर पैदावार होगी और आप अमीर बन सकते हैं।
इन बातों को भी नजरअंदाज न करें
खरीफ सीजन में धान (Chhattisgarh News) की खेती सबसे ज्यादा की जाती है। धान की खेती करने के लिए किसान सबसे पहले नर्सरी लगाता है, यानि धान की रोपाई के लिए बीज डालकर नर्सरी तैयार करते हैं।
कुछ दिन बाद जब नर्सरी तैयारी हो जाती है तो फिर उसे दूसरे खेतों में रोप देते हैं। इस बीच किसान कुछ गलतियों को नजरअंदान कर देते हैं या फिर कुछ खास बातों का ख्याल नहीं रखते हैं। इसके चलते किसानों को उस फसल से अच्छा उत्पादन नहीं मिलता, जबकि और ज्यादा पैदावार भी हो सकती थी।
इतने दिनों में नर्सरी की रोपाई करें
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की रोपाई करने के लिए समय का विशेष ध्यान रखें। सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि नर्सरी की रोपाई श्री पद्धति से करना है, नर्सरी (Chhattisgarh News) को ट्रांसप्लांट करना है या फिर पैडी ट्रांसप्लांटर से करना है।
इन सबके लिए 12 से 15 दिन की नर्सरी है तो इसकी रोपाई कर दें। यदि नर्सरी में मजदूरों के माध्यम से रोपा है तो उसकी रोपाई 15 से 22 दिन की हो गई है तो इसकी रोपाई कराएं।
नर्सरी की जांच के बाद करें रोपाई
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जब नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना है, तो नर्सरी (Chhattisgarh News) का निरीक्षण करें। नर्सरी में देखें कहीं तना में छेदक कीट तो नहीं है। यदि इस तरह के कीट नजर आते हैं या नर्सरी में इस तरह के दूसरे लक्षण दिखते हैं तो उस नर्सरी के पौधे के थोड़े ऊपर से हिस्से को काट लिया जाए।
जिस तरह से चना फसल में हम भाती तोड़ते हैं। इसी तरीके से वैसे ही धान के रोपे के ऊपर के थोड़े से भाग को काट कर खेतों में रोपाई करें।
ट्रांसप्लांट वाले खेत को करें तैयार
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि जिन खेतों में रोपा लगाना है, धान (Chhattisgarh News) की रोपाई करनी है, उस खेत को अच्छे से तैयार करें। खेत को समय रहते ही तैयार कर रखें।
इस बीच अच्छे से जुताई करें, दो बार कल्टीवेटर और एक बार रोटावेटर जरूर करें। इससे उसमें जो भी घास, चारा जैसे अन्य खरपतवार हैं वो सभी कीचड़ में दब जाएंगे। यही खरपतवार सड़कर खाद बन जाएगी।
इस खाद को अच्छे से करें मिक्स
जिन किसानों ने हरी खाद अपने खेत पर लगाई है। इसमें सनई और ढेंचा जैसी खाद को धान (Chhattisgarh News) रोपाई वाले खेत में फैलाएं। इसे कल्टीवेटर या रोटावेटर की मदद से अच्छी तरह से मिक्स करें।
इससे वह पूरी तरह से सड़ जाए और खाद का काम करें। ताकि पौधों को पोषक तत्व मिले, इससे उत्पादन बढ़ेगा। बता दें कि इस हरी खाद को धान रोपाई से एक हफ्ता पहले ही खेत में फैला दें, इसके बाद रोपाई करें।
पोषक तत्वों की जांच जरूर कराएं
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार धान (Chhattisgarh News) की रोपाई जिस खेत में करना है, उस खेती की मिट्टी का परीक्षण जरूर करा लें। इससे पता चल जाएगा कि मिट्टी में कौनसे पोषक तत्व हैं, कौन से तत्वों की कमी है, जिन्हें समय रहते पूरा किया जा सकता है।
पोषक तत्वों की कमी का पता लगने पर उस पोषक तत्व से संबंधित उर्वरक खेत में डालें। इससे यह होगा कि पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व मिलेगा और बंपर पैदावार में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही खेत में 3 साल में जिंक सल्फेट 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
इतनी दूरी से करें रोपाई
धान रोपाई की वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करें। रोपाई करते समय पौधों में डिस्टेंस मेंटेन करना जरूरी है। यदि श्री पद्धति से धान (Chhattisgarh News) लगाई जाती है तो 25 बाई 25 की दूरी रखें। यदि दूसरी पद्धति से लगा रहे हैं तो 20 बाई 20 की दूरी रखना जरूरी है।
इस बीच यदि मजदूरों से भी धान लगवाई जाती है तो 20 बाई 20 या फिर 25 बाई 25 की दूरी रख सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि खेत में पानी नहीं होने से रोपाई के काम में देरी हो जाती है।
इससे नर्सरी 25 से 30 दिन तक की हो जाती है। ऐसी स्थिति में किसान प्रयास करें कि रोपा लगाते समय पौधों के बीच की दूरी हल्की कम हो, इससे ज्यादा दिन की नर्सरी होने के बाद भी कल्ले कम मात्रा में निकलेंगे और इसका फर्क उत्पादन पर होगा।
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रोपाई के समय इतनी हो पानी की मात्रा
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार धान की रोपाई जब करते हैं तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसमें खेतों में पानी की मात्रा अधिक नहीं होना चाहिए। इससे पौधे के बहने की संभावना रहती है।
धान (Chhattisgarh News) रोपाई वाले खेत में जब भी रोपाई का काम शुरू हो, उसमें पानी एक या दो इंच होना चाहिए। इतने पानी में आप किसी भी पद्धति से रोपाई कर सकते हैं। इसके अलावा सबसे जरूरी है, वह यह है कि खेत की मेड़ में गेंदा का फूल या सन जरूर लगाएं।
इससे हानिकारक जो भी कीट आएंगे या फिर पनपेंगे वे इन फूलों की ओर आकर्षित होंगे और आपकी फसल बच जाएगी। यह कीट को कंट्रोल करने का जैविक तरीका है, इसमें ज्यादा खर्च की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती है।