हाइलाइट्स
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महाकाल की पालकी के होंगे सुगम दर्शन
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पालकी के कारवां में शामिल होंगे दो LED वाहन
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जलाभिषेक करने के लिए लगेंगे जल पात्र
Ujjain Mahakal Mandir: यदि आप भी इस महीन उज्जैन महाकाल के दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है. दरअसल सावन के दौरान 3 दिन भस्मारती के लिए ऑनलाइन बुकिंग बंद रहेगी. इसके अलावा इस महीने मंदिर में दर्शन के लिए भी व्यवस्था में कुछ बदलाव हुए हैं. दरअसल महाकाल मंदिर से सावन और भादौ महीन में भगवान महाकाल की सवारी परंपरा के अनुसार पालकी में ही निकाली जाएगी. इसी के चलते दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए एलईडी वाहन शामिल किए जाएंगे.
परंपरा के अनुसार निकलेगी सवारी
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सावन-भादौ में महाकाल की सवारी परंपरा के अनुसार निकाली जाएगी. इसके लिए राजाधिराज महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे. सवारी में भक्तों को भगवान महाकाल के सुगमता से दर्शन हो सकें. इसके लिए कारवां में दो एलईडी वाहनों को शामिल किया जाएगा.
प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया फैसला
गुरुवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंदिर की प्रबंध समिति की बैठक में फैसला लिया गया. जिसमें में सावन मास की दर्शन व्यवस्था से संबंधित कुछ निर्णय भी हुए हैं. कलेक्टर ने सदस्यों से चर्चा के बाद कहा कि मंदिर की पूजन और उत्सव परंपरा में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा.
भगवान महाकाल की सवारी अनादिकालीन परंपरा के अनुसार, पालकी में ही निकाली जाएगी. सावन में भगवान महाकाल के जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है. इसलिए देश-विदेश से आने वाले दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने के लिए जलपात्र भी लगाए जा रहे हैं.ये जल पात्र कार्तिकेय व सभा मंडप में लगाए जाएंगे.
गेट नंबर 4 से होगा प्रवेश
कांवड़ यात्रियों के लिए श्रावण मास में शनिवार, रविवार और सोमवार को भीड़ वाले दिन को छोड़कर मंदिर के चार नंबर गेट से विशेष प्रवेश दिया जाएगा. इन तीन दिन अगर कांवड़ यात्री महाकाल दर्शन करने आते हैं, तो सामान्य दर्शनार्थियों की कतार में लगकर दर्शन करने होंगे.
भस्मारती को लेकर ये नई व्यवस्था
श्रावण मास में शनिवार, रविवार और सोमवार को ऑनलाइन भस्म आरती की बुकिंग सुविधा बंद रहेगी. इन तीन दिनों में दर्शनार्थियों को मंदिर के भस्म आरती काउंटर से आफलाइन परमिशन लेनी होगी. इस बार शहर में सवारी की परंपरा में परिवर्तन करने की मांग लगातार उठाई जा रही थी. शहर के कुछ लोगों का कहना था कि पालकी में भगवान महाकाल के दर्शन नहीं हो पाते. इसलिए भगवान को ट्राले, ट्रैक्टर अथवा बैलगाड़ी पर विराजित करके सवारी निकालनी चाहिए. जिसपर प्रबंध समिति की बैठक में इन विषयों पर किसी प्रकार की चर्चा तक नहीं हुई.