DRDO launched Zorawar light battle Tank: भारत देश अपनी सेना के यूज में आने वाले हथियारों और मशीनों को भारत में ही बनाना शुरू कर रहा है।
हर साल भारत में इनके निमार्ण में तेजी आती जा रही है। भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर 24 महीने से भी कम समय में स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर का प्रारंभिक आंतरिक परीक्षण पूरा कर लिया है।
ये बहुत ही कम समय में बना हुआ लाइट टैंक है। रक्षा सूत्रों की मानें तो गुजरात के हजीरा में L&T के प्लांट में ट्रैक टेस्ट पूरा कर लिया है और सुझाए गए कुछ बदलावों के हिसाब से इसे अपडेट किया गया है।
इस टेस्ट के बाद अब सेना के साथ समन्वय से इसे रेगिस्तान में टेस्ट किया जाना है।
#WATCH | Exclusive footage of the light tank Zorawar developed jointly by DRDO and Larsen and Toubro. The tank project being developed for the Indian Army was reviewed by DRDO chief Dr Samir V Kamat in Hazira, Gujarat today. The tank has been developed by the DRDO to meet the… pic.twitter.com/bkJHdWkoWo
— ANI (@ANI) July 6, 2024
पानी में भी बेखौफ और पहाड़ों में दमदार है टैंक
अपने हल्के वजन के साथ जल और थल दोनों पर चलने में सक्षम होने की क्षमताओं के कारण, जोरावर भारी T-72 और T-90 टैंकों की तुलना में कहीं अधिक आसानी से पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई पार कर सकता है और नदियों के साथ अन्य जल निकायों को भी पार कर सकता है। DRDO प्रमुख की मानें तो इस टैंक को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद की जा रही है।
अब सरहद पर दुश्मन देशों की खैर नहीं: DRDO ने लॉन्च किया लाइट टैंक जोरावर, छिपे दुश्मनों को मारने में माहिर
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) July 6, 2024
लद्दाख की पहाड़ियों पर भागेगा टैंक
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो रेगिस्तान में टेस्ट पूरा होने के बाद जोरावर को साल के अंत में लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टेस्ट के लिए ले जाया जाएगा।
इन पहाड़ों पर टैंक की असली टेस्टिंग की जाएगी। आपको बता दें कि सरकार ने मार्च 2022 में हल्के टैंकों के स्वदेशी डिजाइन और विकास को मंजूरी दी थी। जिसके तहत ये टैंक बनकर तैयार हुआ है।
क्यों है इसका नाम जोरावर
जोरावर टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था और भारत देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी।
यह हल्का टैंक लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना को युद्ध क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है। बताया जा रहा है कि इस टैंक से देश की सेना मजबूत होगी।
#WATCH | Hazira, Gujarat: Zorawar has been developed by the DRDO to meet the Indian Army’s requirements in the eastern Ladakh sector to counter the Chinese deployment across the Line of Actual Control.
The tank with its lightweight and amphibious capabilities can travel through… https://t.co/RPCtgg5sgY pic.twitter.com/m3vmsEWTw8
— ANI (@ANI) July 6, 2024
हल्का होने के साथ दमदार फाइटर टैंक है जोरावर
जोरावर को हल्का बनाने का कारण इसे चलने में आसान और हवाई मार्ग से ले जाने योग्य बनाता है। साथ ही, इसमें उल्लेखनीय मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और संचार क्षमताएं भी हैं।
इसका वजन केवल 25 टन है। भारतीय सेना ने शुरुआत में 59 जोरावर टैंकों का ऑर्डर दिया है। सेना भविष्य में कुल 354 हल्के टैंकों को खरीदने की योजना बना रही है।
जोरावर, चीन के मौजूदा हल्के पहाड़ी टैंकों, जैसे टाइप 15 को सीधी चुनौती देगा।
जानें इस टैंक की खास बातें
105 मिमी या उससे अधिक कैलिबर की मुख्य तोप, जो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम है।
मॉड्यूलर विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच और एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली जो टैंक की रक्षा क्षमता को बढ़ाती है।
बेहतर गतिशीलता के लिए कम से कम 30 हॉर्सपावर/टन का पावर-टू-वेट अनुपात है।
बेहतर युद्धस्थिति जागरूकता के लिए ड्रोन और युद्ध प्रबंधन प्रणालियों के साथ एकीकरण कर बनाया।
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