Save Agriculture Education: एमपी के इंदौर में जिले में सैंकड़ों कृषि के छात्र आज सड़क पर उतर आए. छात्रों ने हाथ में Save Agriculture Education की तख्तियां हैं. वे कृषि कोर्स को गैर कृषि महाविद्यालय में पढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं. कृषि कोर्स के स्टूडेंट्स इंदौर कृषि महाविद्यालय से पैदल मार्च करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. छात्रों ने नारेबाजी प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज के नाम से ज्ञापन सौंपा.
ये है पूरा मामला
दरअसल राज्य सरकार ने हाल ही में कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को गैर कृषि महाविद्यालय यानी परंपरागत विश्वविद्यालय में संचालित करने का आदेश जारी किया है. इसी के विरोध में अब छात्र सड़क पर निकल आए हैं. कृषि कोर्सों के हजारों छात्र में इसको लेकर भारी नाराजगी है. छात्रों ने Save Agriculture Education की तख्तियां अपने हाथ में लेकर जमकर नारेबाजी की.
एग्री अंकुरण वेलफेयर एसोसिएशन ने रखी ये मांग
आज इंदौर में कृषि महाविद्यालय से पैदल मार्च करते हुए इंदौर कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौपा ।
सरकार ने हाल ही में कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को गैर कृषि महाविद्यालय अर्थात परंपरागत विश्वविद्यालय में संचालित करने का आदेश दिया है जिसका… pic.twitter.com/7bJ0LADGT2
— रंजीत किसानवंशी | Ranjeet Kisanvanshi (@Ranjeetfarmer) July 2, 2024
एसोसिएशन के प्रवक्ता रंजीत किसानवंशी ने बताया कि सरकार कृषि शिक्षा के अस्तित्व को समाप्त करना चाहती है. ऐसा लगता है सरकार की रुचि कृषि अनुसंधान में न होकर कृषि की डिग्रियां बांटने में है. हमने सरकार से मांग की थी कि नए कृषि महाविद्यालय खोले जाएं. इसके उलट उसने कृषि कोर्सों को दूसरे यूनिवर्सिटीज् में शुरू करने का आदेश दे दिया. इस नई नीति से कृषि अनुसंधान समाप्त होगा साथ ही कृषि विश्वविद्यालय भी अप्रसांगिक हो जाएंगे. केवल कृषि कोर्सों की डिग्री मिलती रहेंगी.
सरकार की मंशा पर उठे सवाल
एसोसिएशन और कृषि छात्रों ने सवाल उठाए यदि कृषि स्नातक पाठ्यक्रम का संचालन मध्य प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग कराएगा तब अलग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना क्यों की गई? कृषि विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के लिए ICAR एक्रीडिटेशन अनिवार्य क्यों किया गया था यदि उच्च शिक्षा विभाग को यह अधिकार है. क्या आप कैसे नए आदेश से कुशल कृषि स्नातक नहीं बनेंगे जिन्हें कृषि अनुसंधान नवीनतम कृषि तकनीक की जानकारी का अभाव होगा?
इस नीति से हैं ये नुकसान
कृषि अनुसंधान को नुकसान- नई नीति के बाद कोई भी पैसे देकर कृषि कोर्स दूसरे कॉलेजों से कर लेगा. ऐसे में कृषि रिसर्च कमजोर होगी. अभी कृषि क्षेत्र की नवीनतम तकनीक, कृषि के लिए आवश्यक आधुनिक मशीनरी, उन्नत बीजों का विकास और कृषि से संबंधित अन्य गतिविधियां कृषि अनुसंधान केंद्र में होती हैं. जो खोखली हो जाएंगी.
मध्यप्रदेश के किसानों व खेती को नुकसान
परंपरागत विश्वविद्यालय में कृषि के स्नातक पाठ्यक्रम को संचालित करना चाहती है उन विश्वविद्यालयों के पास न जमीन है, न प्रोफेसर है, न आपके उच्च शिक्षा विभाग के पास कृषि स्नातक पाठ्यक्रम की जानकारी रखने वाले लोग हैं. ऐसे में प्रदेश के किसानों को भी नुकसान होगा. बिना कौशल युक्त ये कृषि स्नातक किसानों की किसी भी प्रकार की सहायता नहीं कर पाएंगे जिनको स्वयं कृषि उर्वरक के सही प्रयोग की जानकारी नहीं होगी जिनको स्वयं कीटों के प्रबंधन की जानकारी नहीं होगी वे किसानों को गलत जानकारी देकर किसानों का और अधिक नुकसान करेंगे.
कृषि शिक्षा व कृषि छात्रों को नुकसान
कृषि महाविद्यालय में कृषि स्नातक का जो पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है वहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा निर्धारित होता है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पाठ्यक्रम तय करती है नियमावली तय करती है छात्रों की संख्या तय करती है.