Medha Patkar Jail: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार सोशल वर्कर मेधा पाटकर को 5 महीने की जेल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 24 साल पुराने मानहानि के मामले में उन्हें 5 महीने की जेल हुई. मामला दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने मामला दर्ज किया था. इस समय वीके सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल हैं. सोमवार को अदालत ने पाटकर को सक्सेना को 10 लाख रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया.
कोर्ट ने मेधा की अपील की खारिज
मेधा पाटकर ने प्रोबेशन पर रिहा करने के लिए अपील दर्ज की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. जज ने कहा कि तथ्यों को नुकसान, उम्र और बीमारी (आरोपी की) को देखते हुए, मैं अधिक सजा सुनाने के पक्ष में नहीं हूं. इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की साधारण कारावास और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
LG ने लगाया था मानहानि का केस
24 मई को अदालत ने इसी मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि सक्सेना को देशभक्त नहीं, बल्कि कायर कहने वाला और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने संबंधी पाटकर का बयान न अपने आप में मानहानि के समान है.
इस बयान से नकारात्मक धारणा को उकसाने का भी प्रयास किया गया है. अदालत ने कहा था कि साथ ही यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है. उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है. इस मामले में सजा को लेकर अदालत में बहस 30 मई को पूरी हुई थी. जिसके बाद फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था.
ये है पूरा मामला
मेधा पाटकर और सक्सेना के बीच साल 2000 से यह कानूनी लड़ाई जारी है. जिसमें अब 24 साल बाद फैसला आया है. पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के विरुद्ध एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि ये विज्ञापन उनके और एनबीए के लिए अपमानजनक थे. इसके जवाब में सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के दो मामले दर्ज कराए थे. पहला, टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान उनके बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए और दूसरा, पाटकर द्वारा जारी एक प्रेस बयान से जुड़ा था.
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