Indore Girl Donates Liver: इंदौर में नाबालिग बेटी अब अपने पिता को लिवर डोनेट कर सकेगी। मेडिकल बोर्ड के बाद मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉक्टरों तो कहा है कि पूरी सावधानी के साथ जल्दी से जल्दी इस सर्जरी को पूरा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद गुरुवार को MGM मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम की निगरानी में सफलतापूर्वक बेटी और पिता का लीवर ट्रांसप्लांट कर लिया गया। ऑपरेशन के बाद पिता और बेटी दोनों स्वस्थ हैं और अभी उन्हें आईसीयू में रखा गया है।
बता दें कि इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले 42 वर्षींय शिवनारायण बाथम ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर करके गुहार लगाई थी कि उनकी 17 साल की बेटिया उन्हें अपना लिवर दान करने को तैयार है। इसके लिए उच्च न्यायालय की मंजूरी दी जाए, वहीं करीब 14 दिन बाद हाई कोर्ट ने किडनी ट्रांसप्लांट की मंजूरी दे दी।
मेडिकल बोर्ड से पहले ही मिल गई थी मंजूरी
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विशाल मिश्रा के समक्ष याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार की तरफ से गठित मेडिकल बोर्ड ने कहा कि नाबालिग लड़की की हेल्थ की जांच की है।
साथ ही मेडिकल बोर्ड ने स्वास्थ की जांच करने के बाद यह पाया कि वह अपने बीमार पिता को लिवर का हिस्सा डोनेट कर सकती है। इसके बाद न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आने के बाद शिवनारायण बाथम की याचिका को मंजूरी देते हुए कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को सावधानी बरतते हुए पूरी की जाए।
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दरअसल 42 साल के पिता को नाबालिग बेटी अपना लिवर देना चाहती है. पिता शिवनारायण बाथम को डोनर नहीं मिलने पर बेटी ने ही लिवर देने का फैसला किया. बेटी की उम्र 2 महीने कम पड़ गई जिसके चलते डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट से मना कर दिया. इसके बाद बेटी ने 13 जून को हाई कोर्ट में परमिशन के लिए याचिका लगाई. बेटी ने दलील दी कि उम्र सिर्फ 2 महीने कम है और पिता के लिए अगले 15 दिन बहुत क्रिटिकल हैं.