UP Politics News: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आज लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी की हार की समीक्षा बैठक की। यह समीक्षा बैठक लखनऊ में आयोजित की गई थी, जिसमें सभी बसपा पदाधिकारी शामिल हुए थे।
इस समीक्षा बैठक की खास बात यह है कि इसमें मायावती के भजीजे आकाश आनंद भी पहुंचे और उन्होंने मायावती के पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद उन्होंने आकाश के सिर पर हाथ फेरा और उन्हें आशीर्वाद दिया।
फिर बसपा के साथ आए आकाश!
दरअसल, हाल ही में पूरे देश में लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हुए हैं। इसी दौरान वह बसपा की तरफ से चुनाव प्रचार कर रहे थे और कई रैलियां भी निकाल रहे थे। मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर का जिम्मा भी सौंपा था।
#WATCH | Former Uttar Pradesh CM and BSP chief Mayawati holds a meeting with party workers in Lucknow. pic.twitter.com/b5bBrDlesv
— ANI (@ANI) June 23, 2024
मगर सीतापुर की एक चुनावी रैली के दौरान आकाश आनंद ने एक ऐसा बयान दे दिया था, जिससे सुनने के बाद मायावती काफी नाराज हो गई थीं। इसके साथ ही आकाश आनंद के प्रचार पर भी उन्होंने रोक लगा दी। यही नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से भी हटा दिया था।
रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित की गई इस बैठक में मायावती के भाई आनंद कुमार भी शामिल हुए थे। वहीं, यूपी में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंने हैं। ऐसे में इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई होगी कि क्या इस बार बसपा उप चुनाव लड़ेगी या फिर नहीं।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और वह एक भी सीट पाने में कामयाब नहीं हो पाई। इसके साथ ही इस बार पार्टी के वोट शेयर पर भी काफी फर्क पड़ा था।
खाता खुलना भी हुआ मुश्किल
बसपा की हालात इससे समझी जा सकती है कि लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी और छह पर उन्हें जीत मिली, इसमें उन्हें 9.46 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, बसपा ने सभी 80 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उनका एक भी उम्मीदवार चुनाव जीतने में विफल रहा।
हैरानी की बात यह है कि इस दौरान सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद उन्हें महज 9.19 फीसदी वोट मिले थे। चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं मायावती की पार्टी का यह प्रदर्शन साफ दर्शाता है कि उनकी पकड़ जनता के बीच धीरे-धीरे छूटती जा रही है। बता दें कि, मायावती ने 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, लेकिन 2012 के बाद बसपा का प्रदर्शन खास नहीं रहा था।
कहीं BSP के हाथ से न निकल जाए वोट बैंक
इसके बाद वह 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई थी, जबकि 2019 विधानसभा चुनाव में उनकी 19 सीटें आईं और 2022 में 403 सीटों वाली विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी सिर्फ 1 सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी और उनका वोट शेयर गिरकर 12.80 रह गया था।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और वह दस सीटें जीतने में सफल रहीं। मगर 2024 के लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन वह एक सीट तक जीतने में नाकाम रही।
यही नहीं मायावती का वोट बैंक माना जाना जाने वाला दलित वोट बड़ी तादाद में इंडिया गठबंधन के साथ चला गया। लोकसभा चुनाव में चन्द्रशेखर आजाद भी लोकसभा पहुंच गए। अब मायावती को डर है कि बचा हुआ दलित वोट भी शिफ्ट न हो जाये।
बता दें कि, बसपा सुप्रीमो मायावती का वोट बैंक माना जाने वाला दलित वोट भी काफी संख्या में इंडिया गठबंधन के साथ शिफ्ट हो गया था। लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद भी लोकसभा पहुंच गए। वहीं, अब मायावती को इस बात का डर है कि उनके पास बचा हुआ दलित वोट बैंक भी कही दूसरी ओर शिफ्ट न हो जाए।