New Criminal Laws: देश में 1 जुलाई से तीन नए क्रिमनल कानून लागू होंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये साफ कर दिया है कि इन्हें अब आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू होंगे। इनके तहत मॉब लिंचिंग, राजद्रोह सहित कई मामलों में अहम बदलाव होगा।
राजद्रोह नहीं अब अपराध नहीं
राजद्रोह अब अपराध नहीं होगा, क्योंकि अंग्रेजों के जमाने के इस कानून को हटा दिया गया है। अब इसकी जगह देशद्रोह अपराध होगा। देशद्रोह कानून लागू किया जाएगा। इसके प्रावधान और भी कड़े हैं। धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य करने पर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। अभी IPC की धारा 124-A में राजद्रोह में 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा होती है।
यौन अपराधों के लिए सख्त कानून
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 163 साल पुरानी IPC की जगह लेगी, जिससे दंड कानून में अहम बदलाव आएंगे। नए कानून में यौन अपराधों के लिए कड़े उपाय किए हैं। कानून में ऐसे लोगों के लिए 10 साल तक की कैद-जुर्माने का प्रावधान है, जो बिना इरादे के शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं।
इन अपराध के लिए कड़े कानून
अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, वैश्यावृत्ति, जबरन वसूली, जमीन हड़पना, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, अनुबंध हत्या, ड्रग्स, हथियार या अवैध हथियार और तस्करी जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन अपराधों को अंजाम देने पर कड़ी सजा मिलेगी।
मॉब लिंचिंग के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद
मॉब लिंचिंग के दौरान हुई हत्या के मामले में बड़ा बदलाव होगा। 5 या उससे ज्यादा लोगों का दल मिलकर नस्ल, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, जाति या समुदाय, व्यक्तिगत विश्वास या अन्य किसी आधार पर हत्या करेगा तो मृत्युदंड या उम्रकैद की सजा होगी। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा।
BNSS से होगा ये बदलाव
1973 की CRPC (दंड प्रक्रिया संहिता) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू होगी। इसमें अब कम से कम 7 साल की सजा वाले अपराधों के लिए फॉरेंसिक जांच अनिवार्य रहेगी। अगर उस राज्य में फॉरेंसिक जांच की सुविधा नहीं है तो दूसरे राज्य की मदद लेनी होगी। रेप पीड़ितों की जांच करने वाले डॉक्टर्स को 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। बहस पूरी होने के बाद 30 दिनों में फैसला सुनाना पड़ेगा, इसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
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इलेक्ट्रॉनिक सबूत निर्धारित करेगा BSA
देश में साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू किया जाएगा। ये नया कानून इलेक्ट्रॉनिक सबूतों पर नियमों को सुव्यवस्थित करेगा और सबूतों के दायरे का विस्तार करेगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के लिए विस्तृत प्रकटीकरण प्रारूपों की जरूरत होती है जो सिर्फ हलफनामों से आगे बढ़ते हैं।