What is Situationship: हर रिश्ते की नीवं भरोसा, प्यार और समझदारी होती है. लेकिन आज के समय सिचुएशन शिप नाम की नया ट्रेंड शुरू हुआ है. जी हाँ अप सोच रहें होंगे की आखिर ये कैसा टर्म है. जैसे लोग अपने रिश्तों को नाम देते हैं.
पति-पत्नी, भाई-बहन, गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड वैसे आज कल की जनरेशन में नए रिश्ते का इजाद हुआ है जिसे सिचुएशन शिप कहा जाता है. वैसे तो ये शब्द समझ के बाहर है लेकिन आज कल की जनरेशन के अनुसार सिचुएशन शिप एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दो लोग खासतौर पर लड़का और लड़की ऐसे रिश्ते में रहते हैं जिसमें भविष्य में साथ रहना का भरोसा नहीं दिया जाता है.
एक सर्वे के मुताबिक आजकल यही सिचुएशनशिप कई युवाओं के डिप्रेशन का कारण बन रहीं हैं. एक तरह से कहीं तो इस सिचुएशनशिप में किसी एक पार्टनर के सीरियस या इमोशनली जुड़ जाने के बाद दिमागी तौर पर परेशान होना पड़ता है.
क्या होता है सिचुएशनशिप ?
आसान शब्दों में समझें तो सिचुएशन शिप दो शब्दों का मेल है सिचुएशन और रिलेशनशिप. यह रिश्ता पूरी तरह सिचुएशन पर आधारित होता है. जिसका मतलब है रिश्ते में आप अपने पार्टनर के ऊपर किसी भी तरह का प्रेशर नहीं डाल सकते हैं.
इस तरह के रिश्ते में दो लोग रोमाचे और फिजिकल नीड के लिए साथ में आते हैं. कई बार टाइम पास के लिए भी सिचुएशनशिप का सहर लेते हैं. ऐसे रिश्ते में आप अपने पार्टनर पर किसी भी तरह का दवाब नहीं डाल सकते हैं कि वे किससे मिल रहें हैं, किससे बात कर रहें है.
Uncertainty and Instability
सिचुएशनशिप का सबसे बड़ा नुकसान है कि इस रिश्ते में क्लेअरिटी नहीं होती है. इस स्तिथि में दोनों को नहीं पता होता है कि आखिर वे एक दुसरे के लिए क्या महसूस कर रहें हैं. जिस वजह से दोनों में से एक के मन में इनसिक्यूरिटी और बेचैनी की भावना जागने लगती है.
जब चीज़ें स्पष्ट नहीं होती है तो दोनों रिश्ते के प्रति असुरक्षित और शक की भावना जगाने लागती हैं. जिससे उन्हें लगने लगता है कि उनका साथी उन्हें किसी भी वक्त छोड़ सकता है.
Emotional confusion
अगर दोनों में से एक भी रिश्ते के प्रति सीरियस हो जाता है तो उसे इमोशनल कंफ्यूजन का शिकार होना पड़ता है. क्योंकि दोनों में से किसी को भी यह नहीं पता होता है कि वे रिश्ते के किस मोड़ पर खडें हैं. इसी तरह की इमोशनल टेंशन उन्हें मानसिक रूप से तनाव दे सकती है.
ऐसी स्तिथि में कई बार इंसान गलत कादम भी उठा सकता है.
Waste of time and energy
सिचुएशनशिप में बहुत समय और ऊर्जा बर्बाद हो सकती है. लोग अपने संबंध को समझने और उसे सही दिशा देने की कोशिश में बहुत सारा समय खर्च कर सकते हैं, लेकिन अगर अंत में वह संबंध किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता, तो यह समय और ऊर्जा की बर्बादी साबित हो सकती है.
इसके अलावा, यह समय किसी स्थायी और स्वस्थ संबंध को विकसित करने में निवेश किया जा सकता था.
Social and family pressure
भारतीय समाज में रिश्तों को लेकर एक अलग नजरिया होता है, और ऐसे रिश्ते जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं होते, वे सामाजिक और पारिवारिक दबाव का कारण बन सकते हैं। सिचुएशनशिप में लोग अक्सर अपने रिश्ते के बारे में अपने परिवार और दोस्तों को बताने में हिचकिचाते हैं.
क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग इसे समझ नहीं पाएंगे या इसे स्वीकार नहीं करेंगे. यह सामाजिक दबाव और परिवार की अपेक्षाएं भी रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं.
Uncertainty of the future
सिचुएशनशिप में भविष्य की कोई गारंटी नहीं होती. लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनका संबंध आगे चलकर किसी ठोस आधार पर टिकेगा या नहीं. यह भविष्य की अनिश्चितता लोगों के मन में चिंता और तनाव का कारण बन सकती है.
वे अपने भविष्य को लेकर स्पष्टता और स्थिरता चाहते हैं, लेकिन सिचुएशनशिप में यह मिलना मुश्किल होता है.