हाइलाइट्स
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संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-III भर्ती 2008 से जुड़ा है मामला
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शिक्षक बनने महिला उम्मीदवार ने लड़ी 16 साल कानूनी लड़ाई
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10 लाख के मुआवजे के साथ अब 60 दिनों में देनी होगी नियुक्ति
MP Teacher Recruitment Issue: मध्य प्रदेश में शिक्षक भर्ती हमेशा से विवादों में रही है। 2018 से लेकर अब तक जो भर्तियां हो रही हैं, वह किसी ने किसी कारणों से विवादों में है।
ऐसा नहीं है कि शिक्षक से जुड़ी भर्तियां हाल ही में विवादों में आई, बल्कि इस विभाग की परंपरा ही ऐसी रही कि अधिकारी पूर्व के हो या वर्तमान के इनके कार्यकाल की हर भर्तियां विवादों में ही रही।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है कि आखिर इनके होते हुए ये सब हो कैसे रहा है।
शिक्षक बनने लड़ी 16 साल लंबी लड़ाई
एक उम्मीदवार ने शिक्षक बनने (MP Teacher Recruitment Issue) के लिए थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 16 साल लंबी लड़ाई लड़ी और जीती।
इन 16 सालों में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने नियुक्ति देने की जगह हर वो संभव हथकंडे अपनाए जिससे उम्मीदवार को नियुक्ति न मिल सके।
लेकिन उम्मीदवार डटी रही और आखिर में न्याय की जीत हुई।
पहले मामला जान लीजिए
मामला 31 अगस्त, 2008 को संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-III के पद के लिए आयोजित चयन परीक्षा (Contractual School Teacher Grade-III Recruitment 2008 Issue) से जुड़ा है।
स्मिता श्रीवास्तव ने यह परीक्षा पास की, लेकिन विभाग ने नौकरी देने की जगह हर वो संभव प्रयास किए जिससे उम्मीदवार को नौकरी न मिल सके।
शिक्षक बनने 16 साल लड़ी लड़ाई: नियुक्ति से इनकार करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार पर लगाया 10 लाख का जुर्माना#MPTeacher #Teacherrecruitment #SupremeCourt @CMMadhyaPradesh @udaypratapmp @jitupatwari @UmangSinghar
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मामला कोर्ट पहुंचा तो राज्य सरकार ने अपीलकर्ता को राहत देने से इनकार करने के लिए 29 जुलाई, 2009 को जारी संशोधित नियम यानी नियम 7-ए की ढाल ली, जबकि उक्त नियम का कोई पूर्वव्यापी आवेदन नहीं था।
इतना ही नहीं, हाईकोर्ट द्वारा उक्त नियम को निरस्त करने और अपीलकर्ता के पक्ष में बार-बार आदेश पारित करने के बावजूद, भर्ती की तारीख से पहले संशोधित नियम 1 जनवरी, 2008 से प्रभाव में लाया गया। इसके लिए 21 मार्च, 2018 को एक और अधिसूचना जारी की गई।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्रवाई को एमपी हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को किसी भी तरह से दरकिनार करने का प्रयास बताया, जिससे अपीलकर्ता तथा उसके साथियों को नियुक्ति के उनके वैध दावे से वंचित किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शिक्षक को राहत देने से इनकार (MP Teacher Recruitment Issue) करने के लिए इसे जानबूझकर, अवैध, दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई करना बताया।
मध्य प्रदेश सरकार पर 10 लाख का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के अत्याचारी रवैये के कारण लंबे समय तक मुकदमेबाजी के कारण अपीलकर्ता को हुई क्षति की भरपाई के लिए उचित उपाय करना था, जिन्होंने अपीलकर्ता को संविदा शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया।
इसलिए अपीलकर्ता मुआवजे का हकदार है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना (10 Lakh Fine Imposed on MP govt) लगाया।
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दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी जुर्माने की राशि
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश (Supreme Court Order) दिया कि अपीलकर्ता को 10 लाख रुपये का मुआवजा 60 दिनों के अंदर दिया जाए।
जिसकी वसूली उन दोषी अधिकारियों से की जाए जिन्होंने जानबूझकर, अवैध, दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई कर इस वैध नियुक्ति को देने से इंकार कर दिया।
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60 दिनों के अंदर देनी होगी नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि अपीलार्थी को तत्काल संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-III या समकक्ष पद पर 60 दिन के भीतर नियुक्त (MP Teacher Recruitment Issue) किया जाएगा।
नियुक्ति आदेश उस तिथि से प्रभावी होगा, जिस दिन चयन प्रक्रिया दिनांक 31 अगस्त, 2008 के अनुसार प्रथम नियुक्ति आदेश जारी किया गया।
अपीलार्थी सेवा में निरंतरता की हकदार होगी। हालांकि, वह पिछले वेतन की हकदार नहीं होगी।