Tiger Rescue In Raisen: राजधानी भोपाल के पास के जिले रायसेन में 100 दिनों से जिस बाघ ने ग्रामीणों को दहशत में रहने के लिए मजबूर कर दिया था. उसे वन विभाग की टीम ने आज रेस्क्यू कर लिया है. इस बाघ ने रायसेन में ही कुछ दिन पहले तेंदुपत्ता तोड़ने गए एक शख्स का शिकार किया था. बाघ ने ग्रामीणों के कई मवेशियों का भी शिकार किया था. वन विभाग की टीम लगातार इसे पकड़ने की कोशिश में जुटी हुई थी. आखिरकार आज टीम को सफलता मिली.
वन विभाग ने 20 दिनों बाद पकड़ा टाइगर, 5 हाथियों, 100 वनकर्मियों ने किया रेस्क्यू#Raisen #UrbanTiger #ForestDepartment #SatpuraKanhaTigerReserve pic.twitter.com/8c8I13qpcx
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) June 13, 2024
टाइगर को पकड़ने में खर्च हुए 25 से 30 लाख
30 दिन पहले हुई तेंदूपत्ता तोड़ने गए मजदूर मनीराम की मौत के बाद से ही वन विभाग की टीम ने बाघ की सर्चिंग तेज की थी. इस अभियान में 150 लोगों की टीम जुटी थी. 5 हाथियों की मदद से बाघ को जंगल-जंगल खोजा जा रहा था.
MP : कई दिनों की मशक्कत के बाद वन विभाग को बड़ी सफलता, रायसेन में रॉयल बाघ का रेस्क्यू#Raisen #UrbanTiger #ForestDepartment #SatpuraKanhaTigerReserve pic.twitter.com/hHSiR8OHDB
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टीम ने मूवमेंट पर नजर रखने के लिए 150 कैमरे अलग अलग जगह लगाए थे. 20 दिन बाघ की निगरानी के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर कान्हा, पन्ना नेशनल पार्क और वन विहार भोपाल की 40 सदस्यीय टीम बाघ को रेस्क्यू करने रायसेन पहुंची. रायसने डीएफओ के अनुसार इस पूरे रेस्क्यू आपरेशन में करीब 25 से 30 लाख रुपए खर्च हो गया है. इस बाघ को अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रखा जाएगा.
आदमखोर नहीं है बाघ
डी.एफ.ओ. विजय कुमार ने बताया कि बाघ के वारे में गलत जानकारी फैलाई गई है. वह आदमखोर है नहीं है. दरअसल तेंदूपत्ता मजदूर के साथ जो घटना हुई, वह एक हादसा था. उस घटना के बाद हमने लगातार बाघ का ऑब्जर्वेशन किया बाघ में आदमखोर होने के लक्षण सामने नहीं आए हैं. आदमखोर बाघ इंसान का पीछा करके उसका शिकार करता है. उस घटना के समय बाघ नाले में आराम कर रहा था, अचानक मजदूर के सामने आाने पर उसने हमला किया.
150 किलोमीटर में घूम रहा था बाघ
बाघ 150 किलोमीटर में घूम रहा था. इसके क्षेत्र में 36 गांव आ रहे थे. इस बीच बाघ के मूवमेंट के चलते वन विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से एक महीने पहले शहर के आसपास के 36 गांव के लोगों को घरों से अकेले नहीं निकलने और जंगल की ओर न जाने की बात कही थी.