Yoga For Healthy Liver: मानव के शरीर में लिवर का विशेष महत्व होता है। लिवर हमारे शरीर का एक बड़ा और महत्वपूर्ण अंग होता है।
लिवर का काम हमारे शरीर में खाने को पचाना और शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करना होता है।
आज कल के व्यस्त जीवन में हम अपने शरीर का ज्यादा ध्यान नहीं रखते हैं और गलत आदतों या गलत खान पान के कारण लिवर खराब होने लगता है।
मानव के शरीर मे लिवर खराब होने से कई खतरनाक बीमारियां बढ़ने लगती हैं। आज के समय में सामान्य व्यक्ति की लाइफ में एक खतरनाक बीमारी फैटी लिवर और मोटापा भी है जो शरीर में तेजी से बढ़ रही है।
डॉक्टरों का कहना है कि फैटी लिवर होने का सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल और खान पान में किसी भी प्लानिंग का शामिल न होना हो सकता है।
व्यक्ति का अपने खान पान पर ध्यान न होने के कारण इसकी समस्या काफी बढ़ रही है। फैटी लिवर की समस्या अक्सर शराब पीने वालों को होती है और कुछ सालों से इसके केस काफी बड़ गए हैं।
आप अपने लिवर को हैल्थी रखने के लिए और बीमारियों से दूर रहने के लिए हमारे द्वारा बताए जा रहे योगा आसन को रोजाना अपने घर पर कर सकते हैं।
इनके प्रयोग से कुछ दिन में आपको अच्छा रिजल्ट मिलेगा।
जानु शीर्षासन
जानु शीर्षासन को सरल आसन माना जाता है। इसे अष्टांग योग शैली में किया जाता है। इसे एक टांग से 30 से 60 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है।
इसका दोहराव सिर्फ एक बार ही किया जाता है। जानु शीर्षासन के अभ्यास से एंड़ी, जांघ, कंधे, पिंडली, हाथ, पीठ अधिक मजबूत होते हैं।
जबकि जानु शीर्षासन के अभ्यास से टखना, नाभि, ग्रोइन, जांघें, कंधे, फेफड़े, पिंडली, गले की मांसपेशियां, गर्दन पर खिंचाव आता है।
हाथों से पैर के तलवों पर दबाव डालने से तलवे और हाथों पर मौजूद कई प्वाइंट पर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं को एक्यूप्रेशर चिकित्सा में बेहद अहम माना जाता है।
यह बिंदु शरीर के विभिन्न अंगों को स्टिम्युलेट कर सकते हैं। इस तरह के दबाव से लिवर, पैंक्रियाज, किडनी, पेट और स्पिलीन या तिल्ली में स्टिम्युलेशन बढ़ जाता है।
इसके करने से पाचन सुधरता है। जानु शीर्षासन करने से पेट पर जबरदस्त दबाव पड़ता है। इस दबाव से पेट के भीतरी अंग उत्तेजित होने लगते हैं। यह पाचन प्रक्रिया में भी भरपूर मदद करता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
अर्ध मत्स्येन्द्रासन को करने के लिए अपने एक पैर के उपर से हाथ को ले जाए और दूसरे पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें फिर धिरे से सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को मोड़ें, और फिर अपनी गर्दन को मोड़ने का प्रयास करें, और फिर उसी ओर ध्यान केंद्रित करें।
अपने हाथ को फर्श पर अच्छे से टिका लें। इस आसन से पेट के सभी अंग वृक्क (किडनी), यकृत (लीवर), अग्न्याशय (पैनक्रयाज) प्रभावित होते हैं। इस आसन के करने से रासायन निर्माण का संतुलन बना रहता है। शर्करा (सुगर) नियंत्रित रहता है।
हलासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को नीचे रख लें।
उसके बाद धीरे धीरे अपने दोनों पैरों को बराबर से ऊपर उठाएं और फिर अपनी कमर के सहारे अपने सिर के पीछे की ओर जाए।
अपने सिर को तब तक सिर के पीछे ले जाएं जब तक आपके पैर ज़मीन को न छू लें। इस आसन में शरीर की आकृति खेत मे बैल द्वारा चलाये जाने वाले हल जैसी होने के कारण हलासन कहते हैं।
हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हमारी रीढ़ सदा जवान बनी रहती है और वह लचीली ओर ताकतवर होती है।
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