Nitish Kumar & Chandrababu Naidu Supporting NDA BJP: देश की जनता ने एक बार फिर लगातार तीसरी बार एनडीए JDU-TDP Support NDA को केंद्र की सत्ता सौंपी है। अब एक बार फिर BJP-NDA की सरकार बनने जा रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में इंडिया गठबंधन को 234 सीटें आई थीं, जिसके बाद माना जा रहा था कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी इंडिया गठबंधन को समर्थन दे सकते हैं, लेकिन अब दोनों ने गेम पलट दिया है।
दोनों ने मिलकर कांग्रेस और इंडिया अलायंस का सपना तोड़ दिया है, क्योंकि दोनों आज राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन पत्र सौंपेंगे, लेकिन चर्चा यह भी चल रही है कि समर्थन देने के एवज में ये दोनों नेता सरकार में बड़ा पद की मांग कर सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेलुगू देशम पार्टी (TDP) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) प्रमुख नीतीश कुमार आज दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी हाईकमान से मुलाकात कर सकते हैं। दोनों का समर्थन पत्र मिलने के बाद BJP NDA सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। बता दें कि दोनों नेताओं के पास 30 लोकसभा सीटें हैं और इन 30 सीटों को मिलाकर BJP NDA के पास 325 लोकसभा सीटें हो जाएंगी।
NDA को बहुमत तक ऐसे ले जाएंगे सहयोगी दल
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 37, ममता बनर्जी की TMC ने 29 और DMK ने 22 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की थीं। इस दलों का पाला बदलने की उम्मीद ना के बराबर है। हालांकि, छोटे-छोटे दल पाला बदल सकते हैं। बीजेपी के पास खुद की 240 सीटें हैं। NDA की सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को 32 सीटें चाहिएं। नीतीश-नायडू के पास 30 सीटें हैं।
अगर इन दोनों ने अपना समर्थन दे दिया तो सरकार आसानी से बन जाएगी। इनके अलावा महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के पास वर्तमान 7 लोकसभा सीटें हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के पास 5, जनता दल सेक्युलर (JDS) के पास 2, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के पास 2 और जनसेना पार्टी के पास 2 लोकसभा सीटें हैं। इन सभी के साथ NDA सरकार बन जाएगी।
नीतीश-नायडू के साथ आसान नहीं होगी राह
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू चाहे BJP वाली NDA को समर्थन दें, या फिर INDIA अलायंस के साथ जाए, दोनों पार्टियों के लिए इन दोनों नेताओं के साथ राह इतनी आसान भी नहीं होने वाली है। पहली बार दोनों नेता केंद्र सरकार में किसी बड़े पद की मांग करेंगे।
पद मिलने की शर्त पर ही समर्थन दिए जाने की चर्चा भी होने की खबरें आ रही हैं। फिर सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों और प्रोजेक्टों में भी इन दोनों पार्टियों की सहमति और असहमति भी अहम योगदान निभा सकती है। अगर इन दोनों पार्टी की सहमित के बिना कई फैसले लेने और प्रोजेक्ट पूरे करने में अड़चन आ सकती है।
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